केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को बुनियादी ढांचे और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कुल 19,919 करोड़ रुपये की चार प्रमुख परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की। इनमें दुर्लभ पृथ्वी स्थायी चुम्बक निर्माण योजना के लिए 7,280 करोड़ रुपये, पुणे मेट्रो विस्तार के लिए 9,858 करोड़ रुपये, ओखा-कनालस रेलवे लाइन दोहरीकरण के लिए 1,457 करोड़ रुपये तथा बदलापुर-कर्जत तीसरी-चौथी रेलवे लाइन के लिए 1,324 करोड़ रुपये शामिल हैं।
दुर्लभ पृथ्वी स्थायी चुम्बक योजना को 7,280 करोड़ रुपये की स्वीकृति
मंत्रिमंडल ने दुर्लभ पृथ्वी स्थायी चुम्बक (Rare Earth Permanent Magnets-REPM) के स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहन देने वाली योजना को मंजूरी दी है। योजना पर कुल 7,280 करोड़ रुपये व्यय का प्रावधान है, जो पहले अनुमानित 2,500 करोड़ रुपये से लगभग तीन गुना अधिक है। यह योजना सात वर्ष की होगी, जिसमें विनिर्माण इकाई स्थापित करने के लिए दो वर्ष का समय निर्धारित है। इसके तहत 1,000 मीट्रिक टन प्रति वर्ष तथा 1,200 मीट्रिक टन प्रति वर्ष क्षमता वाली इकाइयां स्थापित की जाएंगी।
योजना का मुख्य उद्देश्य दुर्लभ पृथ्वी ऑक्साइड से धातु, धातु से मिश्रधातु और मिश्रधातु से तैयार चुम्बक तक एकीकृत विनिर्माण सुविधाएं विकसित करना है। ये चुम्बक इलेक्ट्रिक वाहन, नवीकरणीय ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र के लिए आवश्यक हैं।
चीन पर निर्भरता घटाने की रणनीति
चीन वैश्विक दुर्लभ पृथ्वी कच्चे माल का 60-70 प्रतिशत तथा प्रोसेसिंग का 90 प्रतिशत नियंत्रित करता है। अप्रैल 2024 से चीन द्वारा निर्यात नियंत्रण सख्त करने के बाद भारत ने स्वदेशी आपूर्ति शृंखला विकसित करने की गति तेज की है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने 2,270 टन दुर्लभ पृथ्वी धातु एवं यौगिक आयात किए, जिनमें 65 प्रतिशत से अधिक चीन से प्राप्त हुए।
सरकार सिंक्रोनस रिलक्टेंस मोटर्स पर अध्ययन को भी वित्त पोषित कर रही है ताकि भविष्य में दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के आयात पर निर्भरता कम की जा सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई में महत्वपूर्ण खनिजों को हथियार बनाने के बजाय स्थिर एवं विविध आपूर्ति शृंखला सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया था।
इन परियोजनाओं से बुनियादी ढांचा विकास के साथ-साथ रणनीतिक क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता को मजबूती मिलने की उम्मीद है।