सऊदी अरब के मक्का–मदीना हाईवे पर रविवार देर रात हुए बस हादसे में जान गंवाने वाले 45 भारतीय नागरिकों के शव वापस भारत नहीं भेजे जाएंगे। हादसे के शिकार सभी लोग उमरा यात्रा के लिए सऊदी पहुंचे थे।
तेलंगाना मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया है कि मृतकों का अंतिम संस्कार उनके धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार सऊदी अरब में ही किया जाएगा। प्रत्येक पीड़ित परिवार से दो सदस्यों को अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सऊदी भेजा जाएगा।
कुछ मीडिया रिपोर्टों में यह भी सामने आया है कि परिजनों को शव भारत लाने या मदीना के जन्नतुल बकी कब्रिस्तान में दफनाने का विकल्प दिया जा सकता है, हालांकि सऊदी के नियमों के कारण शवों को भारत भेजना बेहद कठिन माना जा रहा है।
पीड़ित परिवारों को मुआवजा मिलने की प्रक्रिया भी जटिल है। सऊदी में सड़क दुर्घटनाओं में सरकार की ओर से कोई सीधा मुआवजा नहीं दिया जाता। क्षतिपूर्ति तभी मिल सकती है जब पुलिस जांच में टैंकर चालक या संबंधित कंपनी की गलती साबित हो और परिवार कानूनी दावा दायर करे। यह प्रक्रिया अक्सर कई महीनों तक चलती है।
सऊदी के हज और उमरा मंत्रालय के नियमों के अनुसार तीर्थयात्रियों को यात्रा शुरू होने से पहले एक डिक्लेरेशन फॉर्म पर हस्ताक्षर करने होते हैं, जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख होता है कि सऊदी भूमि पर मृत्यु होने पर शव वहीं दफनाया जाएगा।
भारत सरकार के अनुसार गैर-तीर्थयात्री भारतीयों के मामले में, परिवार की इच्छा के अनुसार शव को भारत भेजने या सऊदी में दफनाने का विकल्प उपलब्ध रहता है।
हादसा तब हुआ जब मक्का से मदीना जा रही उमरा यात्रियों की बस रास्ते में किनारे खड़ी थी। पीछे से आए तेज रफ्तार फ्यूल टैंकर ने बस को टक्कर मार दी। मृतकों में अधिकतर हैदराबाद के निवासी हैं।
दुर्घटना मदीना से लगभग 25 किलोमीटर दूर मुहरास के पास भारतीय समयानुसार रविवार देर रात करीब 1:30 बजे हुई, जब कई यात्री सो रहे थे और बचने का कोई अवसर नहीं मिला।