:राजेश राज गुप्ता:
कोरिया, सोनहत। आस्था और भक्ति की एक अनूठी मिसाल पेश करते हुए, सोनहत की पावन धरा पर पहली बार श्री श्याम संकीर्तन का भव्य आयोजन किया गया, जिसने समूचे क्षेत्र को भक्तिमय रंग में सराबोर कर दिया। खाटू श्याम के मधुर भजनों की धुन पर झूमते हुए हजारों भक्तों ने इस पावन अवसर पर अपनी हाजिरी दर्ज कराई और बाबा की कृपा का अनुभव किया।

यह ऐतिहासिक आयोजन स्थानीय निवासियों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण क्षण था। वर्षों से, खाटू श्याम के भक्तों की यह तमन्ना थी कि उनके शहर में भी बाबा का ऐसा ही भव्य संकीर्तन हो, जैसा कि वे दूर-दूर के अन्य शहरों में देखते और सुनते आए हैं। इस बार, यह सपना साकार हुआ, सोनहत और भैसवार के लोगों ने मिलकर इस आयोजन को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
कार्यक्रम की शुरुआत श्याम बाबा के पूजन से हुई , जिसके उपरांत श्रद्धेय भजनों की अमृत वर्षा का दौर शुरू हुआ। श्याम भजन गायकों ने अपने मधुर भजनों से भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। “हारे का सहारा, खाटू वाला श्याम हमारा”, “शीश का दानी, मेरी लाज बचाना”, और “सांवरा जब भी आता है” जैसे लोकप्रिय भजनों की धुन पर भक्त झूमते रहे।

भजनों के भावपूर्ण बोल और कलाकारों की दिल को छू लेने वाली प्रस्तुतियों ने वातावरण को एक आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। भक्तों ने पलकें झुकाकर, जयकारे लगाकर और तालियां बजाकर अपनी असीम श्रद्धा व्यक्त की। कई भक्तों की आंखें नम थीं, जो खाटू श्याम के प्रति उनके अननित प्रेम और विश्वास का प्रमाण था। ऐसा लग रहा था मानो खाटू श्याम की पूरी नगरी सोनहत में उतर आई हो, और हर दिल में बाबा का ही वास हो।
‘श्री श्याम रसोई’ का भव्य प्रसाद वितरण: हजारों भक्तों ने की तृप्ति
इस पावन आयोजन का एक और मुख्य आकर्षण ‘श्री श्याम रसोई’ रहा। बाबा श्याम के भक्तों के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए इस भंडारे में हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। यह सेवा भाव का एक उत्कृष्ट उदाहरण था, जहां आयोजकों और स्वयंसेवकों ने पूरी निष्ठा और सेवा भाव से भक्तों को भोजन कराया।

प्रसाद की व्यवस्था इतनी सुचारू और व्यापक थी कि सभी भक्तों को सम्मानपूर्वक भोजन प्राप्त हुआ। भक्तों ने ‘श्री श्याम रसोई’ की व्यवस्था की भी जम कर सराहना की। यह ‘श्री श्याम रसोई’ न केवल पेट भरने का माध्यम बनी, बल्कि इसने भक्तों के दिलों को भी जोड़ा। साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण करना, एक-दूसरे से मिलना और बाबा के प्रति अपनी श्रद्धा साझा करना, इस आयोजन का एक अविस्मरणीय पहलू रहा।
समिति के सदस्यों ने महीनों पहले से ही इस आयोजन की रूपरेखा तैयार करनी शुरू कर दी थी। उन्होंने न केवल स्थानीय स्तर पर चंदा एकत्र किया, बल्कि जन-जन तक इस आयोजन का संदेश पहुंचाकर उनकी भागीदारी सुनिश्चित की।

आयोजन समिति ने बताया, “हमारा सपना था कि सोनहत में भी खाटू श्याम का ऐसा भव्य आयोजन हो, जिससे यहां के भक्त भी बाबा के दरबार का अनुभव कर सकें। आज जब हम हजारों भक्तों को खुश और बाबा के रंग में रंगे हुए देखते हैं, तो हमारी सारी मेहनत सफल हो जाती है।” समिति ने बताया भविष्य में भी ऐसे आयोजन होते रहेंगे।