(Jagdalpur Big News) पुरुषों के समान सभी काम करने में सक्षम है महिलाएं

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(Jagdalpur Big News) पशुधन की रक्षा हेतु टीकाकरण से लेकर मौसमी बीमारियों के बचाव में कर रहीं सहयोग

(Jagdalpur Big News) जगदलपुर !   बस्तर जिले की महिलाएं, पुरुषों के समान सभी काम करने में सक्षम है। मौका मिलने पर अवसर को भुनाने में महिलाएं कोई कमी नहीं रखती है। जिले में 559 महिलाएं पशु-सखी के रूप में कार्य कर रही है। पशु-सखी के लिए महिलाओं ने दो साल पहले प्रशिक्षण लिया था।

(Jagdalpur Big News)  महिलाएं पशु-सखी के रूप में ग्रामीण क्षेत्र के पशुपालकों के पशुओं को होने वाली मौसमी बीमारियों, टीकाकरण कार्य और पशुओं के लिए आवश्यक साफ-सफाई के संबंध में जानकारी देने सहित पशुधन विभाग की योजनाओं के क्रियान्वयन में आवश्यक सहयोग कर रही हैं। पशु-सखी के रूप में उनको प्रतिमाह 6 से 8 हजार तक की आय हो रही है।

(Jagdalpur Big News)  ग्रामीणों के बीच उनकी अलग पहचान भी बन गई है। पशु सखी के रूप के काम करने वाली ग्राम पंचायत धोबीगुड़ा बकावंड की सपुन बघेल ने बताया कि अपने पंचायत के अलावा नजदीकी पंचायतों के पशुपालकों को पशुओं के विभिन्न बीमारियों से बचाव के लिए सहयोग करती है। इसके लिए पशुधन विभाग द्वारा समय-समय पर प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

एनआरएलएम  के मानदेय के अलावा पशु सखी के रूप में अतिरिक्त आय भी प्राप्त हो जाती है। इसी प्रकार का अनुभव  ग्राम पंचायत चींगपाल क्षेत्र के गडम निवासी बालमती और कामानार की संतोषी भी पशु सखी के रूप काम कर खुशी जाहिर कर रही है।


ज्ञात हो कि दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय  ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत फार्म ऑफ फार्म तथा नॉन फार्म गतिविधियों का संचालन किया जाता है। शासन की मंशा अनुरूप मिशन अंतर्गत प्रयास किया जा रहा है कि प्रत्येक ग्रामीण परिवार की आय कम से कम 08 हजार रुपए प्रतिमाह हो। मिशन अंतर्गत प्रयास किया जा रहा है कि प्रत्येक ग्रामीण परिवार को कम से कम 2-3 आजीविका गतिविधियों से जोड़ा जाए ताकि परिवार को सतत् आजीविका के अवसर प्राप्त हो सके।

ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि मुख्य आजीविका गतिविधि के रूप में किया जाता है, ग्रामीणों को पशुपालन के लिए भी प्रेरित किया जाता है। कई ग्रामीण पशुपालन कार्य तो सदियों से करते आ रहे है पशुओं की टीकाकरण और अन्य बीमारियों के लिए मूलतः पशुपालन विभाग द्वारा पशुपालकों को तकनीकी सहयोग दिया जाता रहा है।

गरीबी उन्मूलन की दिशा में कार्य कर रहे एनआरएलएम स्व-सहायता समूहों को पशुपालन से जोड़ा जा रहा है बैकवर्ड एवं फॉरवर्ड लिंकेज के माध्यम से कृषि आजीविका क्षेत्र में कार्य किया जा रहा है। बैकवर्ड लिंकेज के तहत मिशन के माध्यम से पशुपालन गतिविधियों में पशुसखियों के संवर्ग के माध्यम से  स्व-सहायता समूहों के सदस्यों को सहयोग दिया जा रहा है पशुपालन अंतर्गत पशुओं की देखरेख से संबंधित अधिकतर कार्य महिलाओं द्वारा किये जाते हैं परन्तु तकनीकी रूप से उतनी सक्षम नहीं होने से उन्हें पारम्परिक ढर्रे पर ही चलना पड़ता है।

कई बार उन्हें नवीन या उन्नत तकनीक के विषय में पता नहीं होता। तकनीकी रूप से प्रशिक्षित महिला पशु-सखी ग्रामीण महिला पशुपालकों को बेहतर मार्गदर्शन दे रही है। पुरूषों की तुलना में महिला पशुपालक महिला पशु-सखी से बेहतर जुड़ाव महसूस करती है एवं खुलकर चर्चा कर पाती हैं।

पशु-सखी को प्रशिक्षण और क्षमता वर्धन के भाग के रूप में संरचित मॉड्यूलों के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा रहा है और फिर उनके द्वारा महिला किसानों को प्रशिक्षण एवं तकनीकी मार्गदर्शन दिया जा रहा है। बिहान अंतर्गत पशुपालन के क्षेत्र में व्यापक प्रसार एवं विस्तार को दष्टिगत रखते हुए वर्तमान में बिहान अंतर्गत पशु-सखियों के रूप में कार्यरत महिलाओं को मिशन अंतर्गत मानदेय का प्रावधान किया गया है।

साथ ही प्रदेश में प्रथम चरण में वर्ष 2021 की वार्षिक कार्य-योजना अंतर्गत पूर्व से कार्यरत सक्रिय एवं श्रेष्ठ पशु-सखी को पशु-सखी उद्यमी के रूप में प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से चयनित पशु-सखी को उद्यमी के रूप में प्रोत्साहित करने हेतु योजनांतर्गत दो लाख प्रति पशु-सखी उद्यमी बीज – राशि के रूप में उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान है।

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