योगी सरकार का भ्रष्टाचार पर बड़ा प्रहार: समाज कल्याण विभाग के 4 अधिकारी बर्खास्त, तीन सेवानिवृत्त अधिकारियों की पेंशन में कटौती, वसूली का आदेश

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त कार्रवाई करते हुए समाज कल्याण विभाग के चार अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है। इसके अलावा तीन सेवानिवृत्त अधिकारियों की पेंशन में स्थायी कटौती और सरकारी धन की वसूली का आदेश भी जारी किया गया। यह कार्रवाई समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण की निगरानी में की गई जांच के आधार पर हुई, जिसमें वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ। दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और धन की वसूली के आदेश भी दिए गए हैं।

बर्खास्त चार अधिकारी

  • मीना श्रीवास्तव (श्रावस्ती, 2008–2012): मुख्यमंत्री महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना और छात्रवृत्ति योजनाओं में अनियमितताओं के कारण बर्खास्त।
  • करुणेश त्रिपाठी (मथुरा): 11 अमान्य संस्थानों को 2.53 करोड़ रुपये जारी किए और फर्जी छात्रों को दाखिला दिखाया; बर्खास्तगी के साथ 19.25 करोड़ रुपये की वसूली का आदेश।
  • संजय कुमार ब्यास (हापुड़, 2012–13): छात्रवृत्ति राशि सीधे संस्थानों को भेजी, 2.74 करोड़ रुपये की अनियमितता; बर्खास्तगी और 3.23 करोड़ रुपये की वसूली का आदेश।
  • राजेश कुमार (शाहजहांपुर): वृद्धावस्था पेंशन लाभार्थियों के खाते बदलकर अपात्रों को भुगतान किया; बर्खास्तगी और 2.52 करोड़ रुपये की वसूली का आदेश।

सेवानिवृत्त अधिकारियों पर कार्रवाई

  • श्रीभगवान (पूर्व डीएसडब्ल्यूओ, औरैया): 251 लाभार्थियों के खाते बदलकर 33.47 लाख रुपये की हेराफेरी; पेंशन से 10% स्थायी कटौती और 20 लाख रुपये की वसूली का आदेश।
  • विनोद शंकर तिवारी (पूर्व डीएसडब्ल्यूओ, मथुरा): 11 अमान्य संस्थानों को करोड़ों रुपये देने और फर्जी छात्रों को छात्रवृत्ति देने के आरोप; पेंशन से 50% कटौती और 1.96 करोड़ रुपये की वसूली।
  • उमा शंकर शर्मा (पूर्व डीएसडब्ल्यूओ, मथुरा): स्वीकृत सीटों से 5526 अधिक छात्रों को फर्जी भुगतान; पेंशन से 50% कटौती और 88.94 लाख रुपये की वसूली।

सरकार की यह कार्रवाई भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति को स्पष्ट रूप से दर्शाती है और पुराने लंबित घोटालों में भी सख्ती का संदेश देती है।

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