सीहोर। कभी शहर के विकास का प्रतीक माना जाने वाला मंडी रेलवे ओवरब्रिज अब हादसों का न्योता बन गया है। करीब 14 करोड़ रुपये की लागत से बना यह पुल महज पांच साल में ही जर्जर हालत में पहुंच गया है। पुल की सतह पर गहरे गड्ढे बन चुके हैं, जिनसे लोहे के सरिये तक बाहर निकल आए हैं। भारी वाहनों के गुजरते ही पुल की हालत और बिगड़ती जा रही है, जबकि वाहन चालकों को रोजाना जान जोखिम में डालकर इस रास्ते से गुजरना पड़ता है।

यह ओवरब्रिज डेढ़ साल में बनने की योजना थी, लेकिन निर्माण में छह साल लग गए। 2020 में कांग्रेस शासनकाल के दौरान पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने इसका उद्घाटन किया था। कुछ ही महीनों बाद पुल की सतह से सीमेंट और गिट्टी उखड़ने लगी। कई बार मरम्मत के बावजूद हालात जस के तस बने हुए हैं।
करीब 759.5 मीटर लंबे इस ब्रिज से रोजाना 5,000 से अधिक वाहन गुजरते हैं। रात के समय गड्ढों के कारण दुर्घटनाओं का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। खासतौर पर दोपहिया वाहन चालक सबसे ज्यादा परेशानी झेल रहे हैं—तेज रफ्तार में गड्ढों पर वाहन फिसलने से चोटिल होने के मामले बढ़ गए हैं।
स्थानीय नागरिकों ने आरोप लगाया है कि पुल निर्माण में घटिया सामग्री और कमजोर सीमेंट का उपयोग किया गया, जिसके चलते 14 करोड़ खर्च होने के बावजूद पुल टिक नहीं सका। लोगों ने प्रशासन से पुल की तुरंत मरम्मत और जांच की मांग की है, ताकि किसी बड़े हादसे से बचा जा सके।