रायपुर (छत्तीसगढ़)। महापुरुषों के प्रति कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर छत्तीसगढ़ में विवाद बढ़ता जा रहा है। छत्तीसढ़िया क्रांति सेना और जोहार पार्टी के नेता अमित बघेल के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद अब उनकी गिरफ्तारी की मांग तेज हो गई है। इसी कड़ी में अग्रवाल समाज और सिंधी समाज के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को आयोजित महाधरना आंदोलन के दौरान 72 घंटे के भीतर गिरफ्तारी की मांग करते हुए सरकार को अल्टीमेटम जारी किया है। समाज के नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि तय समय सीमा में कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा।

बताया जा रहा है कि आंदोलन के दौरान समाज के वक्ताओं ने अमित बघेल के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई की मांग की। उनका कहना है कि यह सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि समाज के सम्मान का मामला है। इस बीच, पुलिस ने भी अमित बघेल की गिरफ्तारी की कवायद तेज कर दी है और रायपुर सहित आसपास के जिलों में छापेमारी की जा रही है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, गुरुवार को सुंदरनगर में सर्व छत्तीसढ़िया समाज की बैठक पर पुलिस की पैनी नजर रही, मगर वहां अमित बघेल मौजूद नहीं थे। शुक्रवार को फिर एक अन्य बैठक की सूचना मिली, लेकिन पुलिस को वहां से भी कोई ठोस सुराग नहीं मिला। एसीएसीयू (ACCU) और क्राइम ब्रांच की टीम लगातार उनकी लोकेशन ट्रैक कर रही है।
उधर, गुरुवार की बैठक में सर्व छत्तीसढ़िया समाज ने तीन सूत्रीय प्रस्ताव पारित किए —
1️⃣ अमित बघेल के खिलाफ दर्ज एफआईआर का विरोध,
2️⃣ मामले को वापस लेने के लिए मुख्यमंत्री से मुलाकात,
3️⃣ सामाजिक सौहार्द्र बनाए रखने के लिए एकजुटता का संकल्प।
शुक्रवार को समाज की एक और बैठक में प्रदेश स्तरीय महारैली आयोजित करने पर भी चर्चा हुई, हालांकि इसकी तारीख अभी तय नहीं की गई है।
फिलहाल पुलिस प्रशासन अलर्ट मोड पर है और अमित बघेल की तलाश जारी है। वहीं, समाज के संगठनों ने साफ कहा है कि यदि गिरफ्तारी नहीं हुई तो आने वाले दिनों में राज्यव्यापी आंदोलन की घोषणा की जाएगी।