नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि, किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़ी शिकायतों के समाधान और किसानों की परेशानियां दूर करने के लिए सोमवार को दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठक की। बैठक में महाराष्ट्र के कुछ किसानों को वर्चुअल माध्यम से जोड़ा गया, जिनकी शिकायतें मंत्री ने स्वयं सुनीं और तत्काल अधिकारियों से जवाब तलब किया।
फसल बीमा क्लेम में गड़बड़ी पर जताई नाराजगी
शिवराज सिंह चौहान ने बैठक में स्पष्ट कहा कि किसानों को किसी भी हालत में परेशान नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक, दो या पांच रुपये का फसल बीमा क्लेम मिलना किसानों के साथ मजाक है और अब ऐसा नहीं चलेगा। मंत्री ने इस पर जांच के आदेश दिए और अधिकारियों तथा बीमा कंपनियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि किसानों को क्लेम राशि एक साथ और समय पर मिले। उन्होंने नुकसान के आकलन के लिए सटीक और पारदर्शी प्रणाली अपनाने को कहा और योजना के प्रावधानों में आवश्यक संशोधन कर विसंगतियां दूर करने के निर्देश दिए।
बीमा को बताया किसानों के लिए सुरक्षा कवच
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसानों के लिए प्राकृतिक आपदाओं से फसलों को होने वाले नुकसान की स्थिति में सुरक्षा कवच की तरह है। लेकिन कुछ गड़बड़ियों के कारण इस योजना की छवि धूमिल हुई है, जिससे किसानों में असंतोष और गलतफहमी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थितियों से योजना की साख को नुकसान पहुंचता है और इसका फायदा गलत प्रचार करने वाले उठाते हैं।
अफसरों और कंपनियों को लगाई फटकार
बैठक के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने अपने गृह जिले सीहोर के किसानों के मामलों का उदाहरण देते हुए अफसरों को फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि बीमा कराने के बावजूद कुछ किसानों को जीरो लॉस दिखाया गया और क्लेम के नाम पर मात्र एक रुपये दिए गए। वहीं, एक अन्य किसान का नुकसान 0.004806 रुपये दर्शाया गया। मंत्री ने सवाल किया कि यह नुकसान मापने की कौन-सी प्रणाली है और इसका प्रमाण क्या है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि फसल बीमा योजना कोई मजाक नहीं है, इसे गंभीरता से लागू किया जाना चाहिए।
स्थानीय प्रशासन को दिए सख्त निर्देश
शिवराज सिंह चौहान ने बैठक के दौरान सीहोर कलेक्टर को भी वर्चुअल माध्यम से जोड़ा और उनसे विस्तृत जानकारी ली। उन्होंने मंत्रालय के अधिकारियों और बीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों से कहा कि किसानों को सही मूल्यांकन और उचित क्लेम दिलाना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने दोहराया कि किसानों के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।