रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की जीवन रेखा कही जाने वाली खारुन नदी अब शहर की हरियाली और स्वच्छता की नई पहचान बनने जा रही है। आगामी मास्टर प्लान 2031 में नदी के दोनों किनारों पर 18 किलोमीटर क्षेत्र को ग्रीन लैंड जोन के रूप में विकसित करने की तैयारी शुरू हो गई है। इस परियोजना का लक्ष्य है — बढ़ते शहरीकरण के बीच हरियाली बचाना, प्रदूषण रोकना और नागरिकों को प्राकृतिक व मनोरंजक वातावरण देना।

टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के अनुसार, वर्ष 2031 तक रायपुर की जनसंख्या 30 लाख के करीब पहुंचने का अनुमान है। शहर का फैलता कंक्रीटीकरण हरियाली को निगलता जा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए मास्टर प्लान में खारुन किनारे के इलाकों को ग्रीन लैंड घोषित किया गया है, जहां किसी भी प्रकार के व्यावसायिक या औद्योगिक निर्माण पर प्रतिबंध रहेगा।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने हाल ही में योजना की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए कि “विभागीय समन्वय के साथ इस प्रोजेक्ट को तेजी से धरातल पर उतारा जाए।”
पहले भी दो बार बनी योजना, पर अधूरी रह गई
1️⃣ पहला प्रयास (2009-2012)
डॉ. रमन सिंह सरकार के दौरान रायपुर विकास प्राधिकरण (RDA) ने 1000 करोड़ रुपए की लागत से “खारुन रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट” का खाका तैयार किया था। गुजरात के साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर इसे विकसित किया जाना था। सर्वे और डिजाइन पर 48 लाख रुपए खर्च हुए, लेकिन भूमि अधिग्रहण के विरोध के चलते परियोजना ठप पड़ गई।
2️⃣ दूसरा प्रयास (2018-2023)
भूपेश बघेल सरकार ने महादेवघाट से कुम्हारी तक नदी के दोनों किनारों को विकसित करने की घोषणा की। पहले चरण में नगर निगम और स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 4 किलोमीटर क्षेत्र पर काम शुरू होना था, पर विभागीय समन्वय की कमी से यह योजना भी आगे नहीं बढ़ सकी।
अब तीसरा चरण: विष्णुदेव साय सरकार ने संभाली कमान
अब राज्य सरकार ने पुराने प्लान को “ग्रीन कवच” मिशन के रूप में नया रूप दिया है।
नगर निगम रायपुर ने नया ड्राइंग-डिजाइन तैयार किया है और पहले चरण के लिए 20 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है।
इस चरण में महादेवघाट चौक से मंदिर परिसर तक क्षेत्र का विकास किया जाएगा, जिसमें घाटों का सौंदर्यीकरण, वॉकिंग ट्रैक, लाइटिंग, गार्डन और धार्मिक स्थल शामिल होंगे। इसे “महादेवघाट कॉरिडोर” नाम दिया गया है।
रिवर फ्रंट और पैरेलल रोड — रायपुर का नया आकर्षण
नई योजना के तहत खारुन नदी के समानांतर 18 किलोमीटर लंबी पैरेलल सड़क भी बनाई जाएगी, जिससे रायपुर से कुम्हारी तक का सफर अब 45 मिनट से घटकर सिर्फ 15 मिनट रह जाएगा।
यह सड़क रायपुर-भिलाई-दुर्ग कनेक्टिविटी को भी मजबूत करेगी।
नदी किनारे छोटे-छोटे गार्डन, ओपन थिएटर, वॉकिंग ट्रैक, झूले, और धार्मिक कॉरिडोर विकसित किए जाएंगे — ठीक साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर।
स्थानीय समुदाय की भागीदारी
परियोजना के तहत महादेवघाट, काठाडीह, भाठागांव और सेजबहार जैसे इलाकों में फूड कॉर्नर, सांस्कृतिक स्थल और हस्तशिल्प बाजार विकसित किए जाएंगे।
स्थानीय युवाओं, महिला समूहों और कारीगरों को इस प्रोजेक्ट से जोड़ा जाएगा, ताकि उन्हें रोजगार और उद्यमिता के अवसर मिलें।
क्या मिलेगा रायपुर को?
- शहर को मिलेगा नया हरित पर्यटन स्थल
- हवा और पर्यावरण में सुधार
- धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन विकास
- स्थानीय समुदाय के लिए रोजगार सृजन
- रायपुर-कुम्हारी कनेक्टिविटी में बड़ा बदलाव
खारुन के “ग्रीन कवच” बनने के साथ रायपुर न सिर्फ हरियाली की ओर लौटेगा, बल्कि यह प्रोजेक्ट छत्तीसगढ़ राज्योत्सव 2025 में राज्य की नई पर्यावरणीय पहचान के रूप में उभरेगा।
 
	
 
											 
											 
											 
											