धनतेरस का पर्व हर साल कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर देव की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वंतरि हाथ में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। तभी से इस दिन धनतेरस मनाने की परंपरा शुरू हुई।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन देवी-देवताओं की पूजा करने से घर से दरिद्रता और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। इसी दिन यमराज के लिए दीपक जलाने की भी विशेष परंपरा है, जिसे यम दीपक कहा जाता है। कहा जाता है कि इस दीपक के प्रकाश से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है।
धनतेरस की तिथि और समय
इस वर्ष धनतेरस की त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से शुरू हुई है और यह 19 अक्टूबर दोपहर 1 बजकर 51 मिनट तक रहेगी।
यम दीपक जलाने का शुभ मुहूर्त
धनतेरस के दिन यम दीपक जलाने का शुभ समय शाम 5 बजकर 48 मिनट से शुरू होकर शाम 7 बजकर 4 मिनट तक रहेगा। यानी इस दौरान लोगों के पास कुल 1 घंटा 16 मिनट का शुभ समय रहेगा।
यमराज के दीपक जलाने की विधि
धनतेरस पर मिट्टी का चौमुखी दीपक लें, उसे पानी से धोकर सुखाएं और फिर उसमें सरसों का तेल भरें। दीपक में चार बत्तियां लगाएं और शाम के मुहूर्त में “मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन श्यामया सह, त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम” मंत्र का जाप करते हुए दीपक जलाएं।
दीपक जलाने की दिशा
यमराज का दीपक घर के मुख्य द्वार के बाहर दक्षिण दिशा में रखना शुभ माना जाता है, क्योंकि दक्षिण दिशा यमराज की दिशा मानी जाती है। इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और जीवन में लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है।