इंदौर। महर्षि वाल्मिकी जयंती के पावन अवसर पर इंदौर में पीतल की पूर्ण रामायण तैयार करने का कार्य शुरू किया गया है। इस अनोखी परियोजना की पहल ‘समर्पण से संसार’ पुस्तक और स्वामी अवधेशानंद गिरी (आचार्य महामंडलेश्वर, जूनापीठाधीश्वर) की प्रेरणा से हुई। जयंती के दिन रामायण का पहला पृष्ठ जारी किया गया।
इस परियोजना में रामायण को 40 पृष्ठों की पीतल शीट पर अंकित किया जाएगा। हर पृष्ठ 7 इंच लंबा और 5 इंच चौड़ा होगा, और कुल 850 पृष्ठों पर संपूर्ण रामायण अंकित की जाएगी। इस कार्य के पीछे युवा लोकेश मंगल का समर्पण है, जिन्होंने पहले 20 से अधिक मेटल की किताबें तैयार की हैं। उनका उद्देश्य ऐसी किताबें बनाना है जिन्हें सिर्फ संजोया जा सके और जिनका विमोचन न हो।
लोकेश मंगल ने बताया कि, धर्मगुरुओं से प्रेरणा मिलने के बाद उन्हें पीतल पर ग्रंथों को अंकित करने का विचार आया। उन्होंने पहले 193 देशों के संविधान को पीतल पर अंकित किया, जिसकी किताब 57 किलो वजनी थी और इसे 2017 से 2023 तक तैयार किया गया। इसके लिए भारत के 200 शहरों से 42 हजार लोगों से योगदान लिया गया।
इसके अलावा उन्होंने भारतीय संविधान, संसद की प्रतिकृति और BNS, BSA, BNSS की किताबें भी धातु पर तैयार की हैं और केंद्रीय गृहमंत्री को भेंट की हैं। लोकेश मंगल का उद्देश्य युवाओं को समाज और राष्ट्र के प्रति नई सोच देना है और धर्म व राष्ट्रीय धरोहरों को आधुनिक रूप में संरक्षित करना है।