रकम दोगुना करने के झांसे में फंसते छत्तीसगढ़ के पढ़े-लिखे लोग

रकम दोगुना करने के झांसे में फंसते छत्तीसगढ़ के पढ़े-लिखे लोग

दीक्षा मिश्रा
रायपुर।
छत्तीसगढ़ में तेजी से बढ़ते डिजिटल घोटालों ने न केवल आम लोगों की जेबें खाली की हैं, बल्कि पढ़े-लिखे और जागरूक समझे जाने वाले पेशेवरों को भी लालच के जाल में फंसा लिया है। डॉक्टर, इंजीनियर, सरकारी अधिकारी और व्यापारी जैसे शिक्षित वर्ग, जो कथित रूप से सतर्क होते हैं, वे भी शेयर मार्केट, क्रिप्टोकरेंसी और चिटफंड जैसे निवेश के नाम पर करोड़ों रुपये गंवा चुके हैं। हाल के महीनों में दर्जनों ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां छोटे निवेश पर दोगुना मुनाफे का वादा करने वाले ठगों ने लोगों की मेहनत की कमाई हड़प ली। विशेषज्ञों का मानना है कि यह लालच ही नहीं, बल्कि जागरूकता की कमी और साइबर अपराधियों की चालाकी का नतीजा है।
छत्तीसगढ़ में निवेश घोटालों का सिलसिला नया नहीं है, लेकिन हाल के वर्षों में यह डिजिटल रूप ले चुका है। राज्य में 2025 के जुलाई तक 16,811 से अधिक साइबर ठगी के मामले दर्ज हो चुके हैं, जिनमें अधिकांश निवेश से जुड़े हैं। ठग व्हाट्सएप ग्रुप, टेलीग्राम चैनल और फर्जी ऐप्स के जरिए संपर्क करते हैं। वे स्टॉक ट्रेडिंग, क्रिप्टो निवेश या च्डबल मनीज् स्कीम का लालच देते हैं। शुरुआत में छोटी रकम पर मुनाफा दिखाकर भरोसा जीतते हैं, फिर बड़ी राशि हड़प लेते हैं।

एक वरिष्ठ डॉक्टर का मामला इसका उदाहरण है। कांकेर जिले के एक सरकारी अस्पताल में मलेरिया विभाग के प्रमुख डॉक्टर ने एक परिचित के कहने पर 1 करोड़ रुपये निवेश कर दिए। आरोपी ने वादा किया कि एक साल में रकम दोगुनी हो जाएगी। डॉक्टर ने 75 लाख ऑनलाइन ट्रांसफर किए और 25 लाख नकद दिए, लेकिन आरोपी फरार हो गया। इसी तरह, रायपुर के एक चाय विक्रेता भुवनेश्वर साहू ने शेयर मार्केट के नाम पर 400 लोगों से 100 करोड़ रुपये की ठगी की। पीडि़तों में ज्यादातर शिक्षित युवा और मध्यमवर्गीय परिवार थे, जो तेज कमाई के चक्कर में फंस गए।
नवा रायपुर विकास परियोजना से प्रभावित 29 गांवों के किसानों ने भी चिटफंड में 200 करोड़ रुपये गंवा दिए। भूमि अधिग्रहण के मुआवजे को दोगुना करने के लालच में उन्होंने चिटफंड कंपनियों में पैसा लगाया, जो अब डूब चुका है। कोरबा, जांजगीर और बालोद जैसे जिलों में 40,000 से अधिक महिलाएं और बेरोजगार युवा प्रभावित हुए हैं। ये लोग लोन लेकर निवेश करते थे, लेकिन कंपनियां रातोंरात गायब हो गईं।

ठग अब न केवल फर्जी ऐप्स बनाते हैं, बल्कि नकली बैंक शाखाएं भी खोल रहे हैं। सक्ति जिले के छपोरा गांव में फर्जी एसबीआई ब्रांच खोली गई, जहां बेरोजगार युवाओं से नौकरी के नाम पर लाखों रुपये वसूले गए। 10 दिनों में सैकड़ों लोग फंस गए। ठगों ने इंटरव्यू, बायोमेट्रिक डेटा और आइडी कार्ड तक जारी किए। इसी तरह, बिटकॉइन घोटाले में 6,600 करोड़ का नुकसान हुआ, जहां महाराष्ट्र टू छत्तीसगढ़ जैसे सिंडिकेट ने पढ़े-लिखे निवेशकों को निशाना बनाया।
सामाजिक मीडिया पर एक्स (पूर्व ट्विटर) पर भी ऐसी घटनाओं की चर्चा जोरों पर है। एक पोस्ट में कहा गया कि शराब घोटाले से जुड़े बिटकॉइन स्कैम में साइबर एक्सपर्ट गौरव मेहता पर छापा पड़ा, जो राजनीतिक नेटवर्किंग से जुड़ा था। एक अन्य पोस्ट में क्रिप्टो घोटाले पर सियासी बहस छिड़ी, जहां विपक्ष ने भाजपा पर आरोप लगाए।

विशेषज्ञों के अनुसार, पढ़े-लिखे लोग भी इसलिए फंस जाते हैं क्योंकि ठग मनोवैज्ञानिक चालें अपनाते हैं। वे पिग बूचरिंग स्कैम चलाते हैं, जहां पहले रिश्ता बनाते हैं, फिर निवेश का लालच देते हैं। सिंगापुर जैसे देशों में भी 90 प्रतिशत पीडि़त ग्रेजुएट्स ही होते हैं। छत्तीसगढ़ में डॉक्टरों ने बिटकॉइन में करोड़ों लगाए, जो अब दु:स्वप्न बन गया। ठगी के बाद न केवल पैसा जाता है, बल्कि सामाजिक प्रतिष्ठा भी। परिवार और सहकर्मी ताने मारते हैं, जिससे मानसिक तनाव बढ़ता है। कई पीडि़त शर्मिंदगी के डर से पुलिस तक नहीं पहुंचते।
पुलिस के आंकड़ों से पता चलता है कि ठगी की गई रकम का मात्र 5-10 प्रतिशत ही बरामद होता है। साइबर क्राइम यूनिट ने जागरूकता अभियान चलाए हैं, लेकिन मामले बढ़ते जा रहे हैं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि अनजान लिंक पर क्लिक न करें, एपीके फाइल डाउनलोड न करें और निवेश से पहले सेबी रजिस्टर्ड प्लेटफॉर्म जांचें। छोटे निवेश पर बड़ा मुनाफा का वादा झूठा होता है। यदि ठगी हो जाए, तो तुरंत 1930 हेल्पलाइन पर कॉल करें या साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराएं। व्हाट्सएप और टेलीग्राम पर अनजान ग्रुप जॉइन न करें।
छत्तीसगढ़ जैसे विकासशील राज्य में आर्थिक प्रगति के साथ घोटालों का खतरा भी बढ़ा है। पढ़े-लिखे लोग अगर लालच में फंस रहे हैं, तो यह समाज के लिए चेतावनी है। सरकार को सख्त कानून और जागरूकता कार्यक्रम चलाने होंगे। याद रखें, आसान कमाई का रास्ता हमेशा जाल होता है। सतर्क रहें, तो बचाव संभव है। अन्यथा, दोगुनी रकम का सपना कंगाली का सबब बन जाएगा।

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