खैरागढ़ में धार्मिक आस्था पर आघात: रातों-रात काटा गया पूज्य पीपल वृक्ष, गांव में आक्रोश का माहौल

छत्तीसगढ़ के खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले के सर्रागोंदी गांव में सोमवार सुबह उस समय तनाव फैल गया, जब ग्रामीणों ने गांव के पूज्य पीपल वृक्ष को कटा हुआ पाया। यह वृक्ष वर्षों से भगवान हनुमान का स्थल माना जाता था और धार्मिक परंपराओं का केंद्र रहा है।

ग्रामीणों का आरोप है कि यह कृत्य खैरागढ़ के गोलबाजार निवासी इमरान मेमन द्वारा करवाया गया है, जिनकी निजी जमीन इस धार्मिक स्थल के समीप है। हालांकि पीपल वृक्ष सरकारी भूमि पर स्थित था और गांव की सामूहिक आस्था और सांस्कृतिक परंपराओं से गहराई से जुड़ा हुआ था।


सदियों पुरानी परंपरा टूटी, गुस्से की लहर

स्थानीय जनों के अनुसार, गांव में घोड़ा देव पूजा के उपरांत हर वर्ष इस पीपल वृक्ष की परिक्रमा की जाती थी। ग्रामीणों की मान्यता थी कि इस वृक्ष में भगवान विष्णु, ब्रह्मा, शिव और देवी लक्ष्मी का वास होता है।

बताया गया कि 5 अक्टूबर की सुबह भी आरोपी द्वारा वृक्ष कटवाने की कोशिश की गई थी, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के कारण उसे रोका गया। इसके बावजूद रात के अंधेरे में वृक्ष को पूरी तरह काट दिया गया, जो ग्रामीणों के लिए आस्था पर गहरी चोट साबित हुआ।

सुबह जब लोग पूजा स्थल पहुंचे और कटे हुए वृक्ष का ठूंठ देखा, तो गांव में आक्रोश की लहर दौड़ गई। सैकड़ों ग्रामीण स्थल पर जमा हुए और नारेबाजी करने लगे। उनका आरोप है कि यह घटना सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की साजिश है।


पुलिस मौके पर, जांच शुरू

घटना की जानकारी मिलते ही खैरागढ़ पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया। पुलिस ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की और मामले की जांच प्रारंभ कर दी है।

ग्रामीणों ने पुलिस को सौंपे आवेदन में दोषियों पर कठोर कानूनी कार्रवाई की मांग की है। साथ ही, उन्होंने मांग की है कि उसी स्थान पर हनुमान मंदिर का निर्माण किया जाए, जिससे आस्था की पुनर्स्थापना हो सके।


धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

हिंदू धर्म में पीपल वृक्ष को अत्यंत पवित्र माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसकी जड़ों में विष्णु, तने में ब्रह्मा, पत्तों में हरि और फलों में समस्त देवताओं का वास होता है। भगवद्गीता में श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं – “वृक्षों में मैं पीपल हूं।”

इसी कारण यह वृक्ष न केवल एक पर्यावरणीय संपत्ति, बल्कि धार्मिक प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।


स्थानीय प्रशासन पर दवाब बढ़ा

गांव में फिलहाल पुलिस बल तैनात किया गया है। पुलिस का कहना है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच तेज़ कर दी गई है और साक्ष्य एकत्र किए जा रहे हैं। वहीं, ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की, तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।


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