जब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने छोड़ा काफिला और पैदल पहुंचे गरबा पंडाल

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का सादगी और सहजता भरा अंदाज सोमवार देर रात रायपुरवासियों को देखने को मिला। अक्सर वीवीआईपी सुरक्षा और लंबे काफिले के बीच घूमने वाले नेताओं से अलग, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने खुद को आमजन के बीच मिलाने का दुर्लभ उदाहरण पेश किया। भनपुरी स्थित पाटीदार भवन में कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे मुख्यमंत्री ने जब अपने तय शेड्यूल के मुताबिक कार्यक्रम पूरा किया तो उनका काफिला आगे के गंतव्य की ओर बढ़ गया।

इसी दौरान भनपुरी में मौजूद श्री कच्छ गुर्जर क्षत्रिय समाज के पदाधिकारी मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे। उन्होंने निवेदन किया कि मुख्यमंत्री उनके गरबा पंडाल में भी आएं, जहां बड़ी संख्या में समाज के लोग मां अंबा की आराधना कर रहे थे और उनके स्वागत की प्रतीक्षा कर रहे थे। पदाधिकारियों ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री पिछले वर्ष भी उनके पंडाल में पहुंचे थे, इसलिए इस बार समाज के लोग विशेष उत्सुकता से उनका इंतजार कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री साय ने मुस्कुराते हुए समाज के पदाधिकारियों से पूछा – “यहां से आपका गरबा पंडाल कितनी दूर है?” जब उन्हें बताया गया कि पंडाल मात्र 200–250 मीटर की दूरी पर है, तो उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के पैदल जाने का निर्णय लिया।

उनके इस फैसले से सुरक्षा कर्मी भी चौंक गए। चूँकि काफिला पहले ही आगे निकल चुका था, तुरंत स्थानीय पुलिस और सुरक्षा स्टाफ को पंडाल की ओर सुरक्षा व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सामान्य जन की तरह पदाधिकारियों के साथ पैदल चलते हुए पंडाल पहुंचे।

गरबा पंडाल पहुंचते ही वहां मौजूद भीड़ मुख्यमंत्री को देखकर उत्साहित हो उठी। उन्होंने मां अंबा के दर्शन किए, आराधना में शामिल हुए और उपस्थित लोगों का अभिवादन स्वीकार किया। समाज के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री का सम्मान किया और उनका साधारण, सहज और मिलनसार व्यवहार देखकर प्रभावित हुए।

लोगों ने कहा कि मुख्यमंत्री का यह कदम बताता है कि वे वास्तव में जमीन से जुड़े हुए नेता हैं, जिन्हें लोगों की भावनाओं की कद्र है। बिना किसी तामझाम के पैदल गरबा पंडाल पहुंचना उनकी सादगी और सरल स्वभाव का प्रतीक है।

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