कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जीएसटी 2.0 लागू होने के बाद केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जीएसटी कटौती से राज्यों, खासकर पश्चिम बंगाल को भारी राजस्व नुकसान हो रहा है, जिसका आंकड़ा 20,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। ममता ने केंद्र पर आरोप लगाया कि भाजपा शासित राज्यों को मुआवजा मिल सकता है, लेकिन गैर-भाजपा शासित राज्यों के हितों की अनदेखी हो रही है।
दुर्गा पूजा पंडाल उद्घाटन के दौरान बयान
22 सितंबर 2025 को दुर्गा पूजा पंडाल के उद्घाटन के मौके पर ममता ने कहा कि जीएसटी कटौती से आम लोगों को लाभ होगा, लेकिन राजस्व घाटे का प्रचार कुछ लोग अपने फायदे के लिए कर रहे हैं। उन्होंने बिना नाम लिए पीएम मोदी और केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “हमने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी हटाने की मांग सबसे पहले उठाई थी। जीएसटी परिषद की बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने भी हमने यह सुझाव दिया था। लेकिन अब कुछ लोग इसका श्रेय ले रहे हैं।” ममता ने स्पष्ट किया कि उनका मकसद विरोध नहीं, बल्कि राज्य के हितों और राजस्व घाटे को उजागर करना है।
बंगाली मजदूरों पर अत्याचार का आरोप
ममता ने भाजपा शासित राज्यों में बंगाली प्रवासी मजदूरों पर कथित अत्याचार का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि बिना दस्तावेजों वाले मजदूरों को अवैध बांग्लादेशी समझकर हिरासत में लिया जा रहा है। ममता ने केंद्र से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा, “लोगों को सिर्फ इसलिए प्रताड़ित किया जा रहा है क्योंकि वे बंगाली बोलते हैं।”
राजस्व घाटे पर चिंता
ममता ने जोर देकर कहा कि जीएसटी कटौती से आम लोगों को राहत मिलेगी, लेकिन राजस्व घाटे का बोझ गैर-भाजपा शासित राज्यों पर पड़ रहा है। उन्होंने केंद्र से मांग की कि पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के हितों की अनदेखी न की जाए।