आरंग। नगर पालिका प्रशासन की लापरवाही और ठेकेदार की मनमानी का एक बड़ा मामला उजागर हुआ है। आरंग नगर पालिका में बिना निर्माण कार्य शुरू किए ही ठेकेदार को 35 लाख 82 हजार रुपए का भुगतान कर दिया गया। जबकि निर्माण स्थल पर आज तक एक ईंट तक नहीं रखी गई। अब इसी अधूरे काम को दूसरी जगह शिफ्ट करने की तैयारी शुरू कर दी गई है, जिस पर शिवसेना ने खुलकर विरोध जताया और ठेकेदार पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

क्या है पूरा मामला?
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2023 में आरंग बस स्टैंड का कायाकल्प करने के लिए 6.69 करोड़ रुपए का वर्क ऑर्डर रायपुर की मेसर्स राधेश्याम अग्रवाल अवंती विहार कंपनी को दिया गया था। योजना के तहत यहां आधुनिक बस स्टैंड के साथ सर्वसुविधायुक्त व्यावसायिक परिसर बनना था।
वर्क ऑर्डर के अनुसार यह काम डेढ़ साल में पूरा होना था, लेकिन दो साल बीत जाने के बावजूद आज तक निर्माण शुरू ही नहीं हुआ। हैरानी की बात है कि काम अधूरा छोड़ने के बावजूद ठेकेदार को 35.82 लाख रुपए एडवांस पेमेंट के तौर पर दे दिए गए।
सत्ता परिवर्तन के बाद नया मोड़
प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद आरंग नगर पालिका पर भाजपा का कब्जा हुआ। इसके बाद परिषद की बैठक में बस स्टैंड को बैहार क्षेत्र में शिफ्ट करने का प्रस्ताव पास किया गया। इस पर शिवसेना और भाजपा पार्षदों ने सहमति भी जताई थी।
हालांकि अब जब जमीन का मामला जटिल होता दिखा और ‘शामिलात चारागाह भूमि’ पर निर्माण की कानूनी अड़चनें सामने आईं तो विरोध के स्वर तेज हो गए।
शिवसेना ने खोला मोर्चा
आरंग में शिवसेना ग्रामीण जिलाध्यक्ष और पार्षद प्रतिनिधि राकेश शर्मा के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने नगर पालिका पहुंचकर मुख्य नगर पालिका अधिकारी (CMO) शीतल चंद्रवंशी को ज्ञापन सौंपा।
शिवसेना ने इस पूरे मामले को नगर पालिका और ठेकेदार की मिलीभगत करार देते हुए ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट करने, नई निविदा निकालने और काम को मूल स्थल पर ही शुरू कराने की मांग की है।
जिम्मेदार क्या कह रहे हैं?
CMO शीतल चंद्रवंशी का कहना है कि,
“ठेकेदार को उस समय प्रावधानों के तहत अग्रिम भुगतान किया गया था। ठेकेदार अब भी काम करने को तैयार है, लेकिन परिषद के स्थल परिवर्तन प्रस्ताव के कारण कार्य प्रारंभ नहीं हो सका।”
वहीं, नगर पालिका अध्यक्ष डॉ. संदीप जैन ने कहा –
“भविष्य की जरूरतों और व्यवसायिक विस्तार को देखते हुए बस स्टैंड शिफ्ट करने का फैसला लिया गया है। नए बस स्टैंड से पुराने क्षेत्र का व्यवसाय प्रभावित नहीं होगा। शिवसेना ने पहले परिषद में सहमति दी थी, अब विरोध करना समझ से परे है।”
कुल मिलाकर, यह मामला अब ठेकेदार की मनमानी बनाम राजनीतिक विरोध का रूप ले चुका है। जनता की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या नगर पालिका प्रशासन ठेकेदार पर सख्त कार्रवाई करेगा या यह मामला भी केवल कागजों में दबकर रह जाएगा।