बिलासपुर। राज्यभर में बिना मान्यता के संचालित हो रहे प्ले और नर्सरी स्कूलों पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए साफ कहा— “कोर्ट की कार्यवाही को हल्के में न लें।”

दरअसल, कोर्ट ने शिक्षा सचिव से शपथ पत्र मांगा था, लेकिन उनकी जगह संयुक्त सचिव ने जवाब दाखिल कर दिया। इस पर बेंच ने कड़ा एतराज जताते हुए चेतावनी दी कि ऐसी छूट के लिए अलग से आवेदन करना जरूरी है।
हाईकोर्ट ने याद दिलाया कि 2013 से ही ऐसे संस्थानों पर कार्रवाई का आदेश जारी है, इसके बावजूद पिछले 15 सालों में स्थिति जस की तस बनी हुई है। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आखिर अब तक क्या कदम उठाए गए।
सरकार ने बताया कि 2 सितंबर को सात सदस्यीय समिति गठित की गई है, जो नई शिक्षा नीति और बाल अधिकार आयोग की सिफारिशों के अनुसार नियम तैयार करेगी। साथ ही 16 सितंबर को सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को 15 दिन के भीतर प्ले स्कूलों की पूरी जानकारी एकत्र करने के निर्देश दिए गए हैं।
अब इस मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी।