रायपुर में दहेज प्रताड़ना का एक बेहद दर्दनाक मामला सामने आया है। यहाँ एक महिला ने पति की लगातार यातनाओं से तंग आकर खुद को आग के हवाले कर दिया। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मृतिका की पहचान वर्षा गोस्वामी (28) के रूप में हुई है, जो पुरानी बस्ती की निवासी थीं। उनके पति शिवम गोस्वामी पर आरोप है कि वह शादी के बाद से ही उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करता था। आरोप है कि शिवम जुए और सट्टे में लिप्त रहता था, घर लौटकर पत्नी से विवाद करता, मारपीट करता और दहेज के लिए दबाव बनाता था। पत्नी को अपने मायके से पैसे लाने के लिए तंग करता था। यहाँ तक कि उसने पत्नी के प्राइवेट पार्ट पर हमला भी किया था।

वर्षा ने 2020 में शिवम से लव मैरिज की थी। शादी के बाद दोनों को दो बच्चे हुए, लेकिन वैवाहिक जीवन में सुख नहीं रहा। परिवार वालों के अनुसार शिवम अक्सर पत्नी को आधी रात घर से बाहर निकाल देता और जान से मारने की धमकी देता था। दिवाली से पहले भी उसने वर्षा का सिर फोड़ दिया था, लेकिन पुलिस में की गई शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

घटना 10 सितंबर की दोपहर की है। वर्षा काउंसलिंग के लिए महिला थाने पहुँची थी। दोपहर करीब 12 से 12:30 बजे के बीच, थाने के बाहर बैठी वर्षा ने अचानक खुद पर पेट्रोल डालकर आग लगा ली और अंदर दौड़ गई। थाने में मौजूद कर्मचारियों ने तुरंत पानी डालकर आग बुझाई, लेकिन उसका शरीर बुरी तरह झुलस चुका था। उसे डीकेएस अस्पताल ले जाया गया, जहाँ 14 सितंबर को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

मृतिका की बहन ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने मामले में FIR दर्ज कर आरोपी पति शिवम गोस्वामी के खिलाफ दहेज प्रताड़ना और अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया। आरोपी अब भी फरार है और पुलिस उसकी तलाश कर रही है। शव का पोस्टमॉर्टम कर परिजनों को सौंप दिया गया है।
यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि समाज में दहेज और घरेलू हिंसा के बढ़ते मामलों की गंभीरता को भी उजागर करती है। परिजनों ने बताया कि वर्षा का वैवाहिक जीवन शुरू से ही संघर्षपूर्ण रहा। आज जब उसकी मौत ने सबको झकझोर दिया है, तब सवाल उठ रहे हैं कि क्या समय रहते पुलिस और समाज की मदद मिलती तो एक जान बचाई जा सकती थी। यह मामला उन तमाम महिलाओं के लिए चेतावनी है जो घर की चारदीवारी में चुपचाप हिंसा सहती रहती हैं।
समाज और प्रशासन दोनों के लिए यह जरूरी है कि ऐसे मामलों में संवेदनशीलता और तत्परता दिखाकर पीड़ितों की मदद की जाए और दोषियों को कड़ी सजा दिलाई जाए। रायपुर की यह घटना परिवार, कानून व्यवस्था और सामाजिक जागरूकता की कसौटी पर खड़ी है।