रायपुर। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य कवि और धमतरी जिला हिंदी साहित्य समिति के संरक्षक सुरजीत नवदीप का सोमवार, 15 सितंबर की देर रात उनके धमतरी स्थित निवास रिसाईपारा में निधन हो गया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और इसे हिंदी साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया।

मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि नवदीप जी की सहज हास्य-व्यंग्य शैली, समाज की विसंगतियों पर उनकी गहरी दृष्टि और मंचीय उपस्थिति ने हिंदी साहित्य को नई ऊँचाइयाँ दीं। उन्होंने कहा कि नवदीप जी की रचनाएँ और व्यक्तित्व सदैव साहित्य प्रेमियों को प्रेरित करते रहेंगे। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और परिजनों को यह दुख सहने की शक्ति दें।

उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को धमतरी में किया जाएगा। साहित्य प्रेमियों और समाज के सभी वर्गों में उनके निधन से शोक की लहर दौड़ गई है। नवदीप जी ने न केवल हास्य-व्यंग्य कविताओं के माध्यम से समाज की जटिलताओं पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी की, बल्कि रेडियो और टीवी कार्यक्रमों में काव्यपाठ कर उन्हें लोकप्रियता भी दिलाई।
जीवन परिचय
सुरजीत नवदीप का जन्म 1 जुलाई 1937 को मंडी भवलदीन (तत्कालीन पंजाब, वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त कर एमए हिंदी के साथ बीएड और सीपीएड की उपाधियाँ हासिल कीं। शिक्षा क्षेत्र में दीर्घकाल तक सेवा देने के बाद वे सेवानिवृत्त होकर स्वतंत्र लेखन और साहित्य सेवा में सक्रिय रहे। वे छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के सदस्य भी रह चुके थे।
उनकी लेखनी में हास्य की सहजता और समाज की गंभीर समस्याओं पर व्यंग्यात्मक दृष्टिकोण ने उन्हें विशिष्ट पहचान दिलाई। देशभर की पत्र-पत्रिकाओं में उनके गीत, ग़ज़ल, हास्य-व्यंग्य कविताएँ और कहानियाँ प्रकाशित होती रही हैं।
समाज में योगदान
नवदीप जी की कविताएँ न केवल मनोरंजन का साधन थीं, बल्कि समाज में जागरूकता और गंभीर मुद्दों पर सोचने को प्रेरित करती थीं। उनके काव्यपाठ ने अनेक साहित्य प्रेमियों को प्रभावित किया। धमतरी जिला हिंदी साहित्य समिति के अध्यक्ष डुमन लाल ध्रुव ने कहा कि नवदीप जी का व्यक्तित्व हास्य और सामाजिक गंभीरता का संतुलन प्रस्तुत करता था और वे हमेशा साहित्यिक समाज के लिए प्रेरणास्रोत बने रहेंगे।
उनके निधन से न केवल धमतरी, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ का साहित्यिक समुदाय शोकग्रस्त है। साहित्य प्रेमी उनकी रचनाओं को याद कर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। उनका जाना हिंदी साहित्य के लिए अपूरणीय क्षति है, जिसकी भरपाई संभव नहीं। उनकी लेखनी और मंचीय उपस्थिति आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।