वरिष्ठ रंगकर्मी और निर्देशक शिवदास घोडके का बीते रविवार रात कैंसर के कारण निधन हो गया।
वे 69 वर्ष के थे।
घोड़के मूल रूप से नांदेड़ के रहने वाले हैं। वे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, दिल्ली के छात्र हैं।
उन्हें 1982 में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से छात्रवृत्ति मिली थी।

उन्होंने पुणे के फ़िल्म और टेलीविज़न संस्थान से भी पढ़ाई की है। वे पिछले 40 वर्षों से रंगमंच से जुड़े हैं। उन्होंने कई छात्रों को प्रशिक्षित भी किया है। वे कांचनताई सोनटक्के के विशेष बच्चों के स्कूल में विशेष बच्चों को नाटक सिखाते थे ।

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से स्नातक होने के बाद, उन्होंने आविष्कार नाट्य संस्था के नाटक “महाभोजन तेराव्या” में अभिनय किया। तीन साल पहले उन्हें हड्डी के कैंसर का पता चला था।
वे उससे उबर चुके थे। हाल ही में उन्होंने इप्टा के लिए अन्नाभाऊ साठे का नाटक “मुंबई कोंची” प्रस्तुत किया। उन्होंने “शेवंता जीती है” जैसे कई नाटकों को मंच पर उतारा।
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उन्होंने राज्य नाटक प्रतियोगिता में निर्णायक के रूप में भी काम किया। उनके परिवार में उनकी माँ, पत्नी स्वप्ना और पुत्र गुलज़ार हैं।