:रमेश गुप्ता:
भिलाई। 8 सितंबर को हर वर्ष विश्व फिजियोथेरपी दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व फिजियोथेरपी दिवस पर बढ़ती उम्र में शारीरिक समस्याओं पर चर्चा हो रही है।
इस साल का विषय भी इसे ही बनाया गया है। बढ़ती उम्र के साथ कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी सामने आती हैं।
इनमें शारीरिक व मानसिक बीमारियां शामिल हैं। खास तौर पर जोड़ो का दर्द, कमजोरी, मासपेशियों में दर्द, चलने मे दिक्कत, संतुलन की समस्या आदि तरह की समस्याए प्रमुख हैं।
भिलाई की प्रख्यात फिजियोथेरेपिस्ट डॉ नेहा बत्रा बताती हैं कि बढ़ती उम्र के साथ शरीर का संतुलन बनाने के लिए सामान्य से व्यायाम व संतुलित आहार ही रामबाण दवा है। अक्सर देखा जाता है कि बढ़ती उम्र के साथ लोगों में आलस भी आ जाता है।

कामकाजी लोग घर पहुंचने के बाद बिस्तर पर पसर जाते हैं और जो कि बीमारियों का निमंत्रण है। डॉ नेहा का कहना है कि ऐसी दिनचर्या से बचना चाहिए। ध्यान रखना है कि हमारा शरीर स्वस्थ्य रहेगा तो सबकुछ ठीक होगा।
डॉ नेहा बत्रा ने बताया कि सक्रिय और स्वतंत्र जीवन जीने नियमित प्राणायाम, हल्के व्यायाम, स्ट्रेचिंग और बैलेंस ट्रेनिंग मांसपेशियों को मजबूत रखते है। बुजुर्गों को हरी घास पर नंगे पांव चलना चाहिए जिससे ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहता है।

एक साथ ज्यादा समय तक नहीं चलना है बल्कि धीरे टाइमिंग बढ़ानी है। यदि नंगे पांव चलने से दिक्कत हो तो चप्पल के साथ भी चल सकते हैं। बिना चप्पल चल रहे हैं तो बाद में पैरों को साफ पानी से धोना न भूले।
डॉ नेहा बत्रा का कहना है कि उम्र बढ़ने के साथ ही हमारी पाचान शक्ति भी कम हो जाती हैं जिससे एसिडिटी और कोस्टिवेशन -(कब्ज़) की शिकायात भी बढ़ जाती है। इसलिए आसानी से पचने वाले भोजन लेना चाहिए।

बुजुर्गों को अपने खाने में फल, उबली सब्जियां, अंकुरित चने, ओट्स, दलिया जैसे फुड को रोजाना खाने में शामिल करना चाहिए। साथ ही पर्याप्त मात्रा मे पानी जरूर लें। पौष्टिक भोजन बुजुर्गों का सबसे बड़ा सहारा है।