राजधानी रायपुर में गिरफ्तार फर्जी पुलिसकर्मी आशीष घोष से पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। आशीष ने पिछले कई सालों से पुलिस महकमे में गहरी पैठ बना रखी थी। उसने थानों, क्राइम ब्रांच, ट्रैफिक और एमटीओ (MTO) तक में सिपाही, हवलदार और एएसआई की पोस्टिंग कराई और इसके बदले हर माह मोटी रकम वसूली।

पोस्टिंग के एवज में लाखों की वसूली
आरोपी आशीष पुलिसकर्मियों से हर माह पैसे लेता था। यदि भुगतान में देरी होती तो गाली-गलौज करता और एसएसपी, एडिशनल एसपी या नेताओं का नाम लेकर दबाव बनाता। आरोप है कि वह 10-12 लाख रुपये तक लेकर पोस्टिंग कराता और कई लोगों को ट्रांसफर भी करवा चुका है।
आईपीएस अधिकारियों से सीधा उठना-बैठना
आशीष पिछले 10 सालों में रायपुर में पदस्थ कई आईपीएस अधिकारियों से जुड़ा रहा। बिना किसी रोक-टोक उनके घर आता-जाता था और उनके नाम का इस्तेमाल कर धौंस जमाता था। पुलिस को उसके मोबाइल से कुछ ऑडियो रिकॉर्डिंग मिली हैं, जिनमें वह पुलिसकर्मियों को धमकाते हुए सुना जा सकता है।
केस सुलझाने का खेल
फर्जी पुलिसकर्मी आशीष थानों में नियमित रूप से आता-जाता था। वह शिकायतकर्ताओं से पैसे लेकर केस सुलझाने का दावा करता और कई बार पुलिस अधिकारियों को महंगे गिफ्ट्स भी देता था। पुलिस ने उसके पास से 2 लाख रुपये नकद, सोने की अंगूठियां, ब्रेसलेट और अन्य सामान बरामद किया है।
फर्जी आईडी और बरामदगी
पूछताछ में आशीष ने बताया कि उसने ACB-EOW के सिपाही उमेश कुर्रे की आईडी से फोटो खींचकर अपनी तस्वीर लगाकर फर्जी पुलिस आईडी बनवाई थी। इसमें डीजी जीपी सिंह के हस्ताक्षर भी नकली तरीके से जोड़े गए थे। उसकी गाड़ी से थाने का सील-मोहर, ड्यूटी चार्ट और गश्त पॉइंट भी जब्त किए गए।
पुलिस रिमांड में आरोपी
आरोपी आशीष को पुलिस ने कोर्ट में पेश कर 6 सितंबर तक रिमांड पर लिया है। उसके मोबाइल से डिलीट किए गए चैट्स को रिकवर करने के लिए डिवाइस साइबर लैब भेजा गया है। पुलिस का मानना है कि इस गिरोह के तार और भी नेताओं और अधिकारियों तक जुड़े हो सकते हैं।