हाईकोर्ट ने रद्द की सीबीआई स्पेशल कोर्ट की सजा, पीएफ निकालने में रिश्वत का था आरोप

बिलासपुर। हाईकोर्ट ने सीबीआई की स्पेशल कोर्ट द्वारा पीएफ निकासी के एवज में रिश्वत लेने के मामले में दी गई सजा को रद्द कर दिया है। जस्टिस रजनी दुबे की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता एसईसीएल कर्मियों को सशर्त जमानत देते हुए कहा कि यदि मामले में सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की जाती है तो उन्हें उपस्थिति दर्ज करानी होगी।

मामले में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि उसने सीएमपीएफ की राशि निकालने के लिए आवेदन दिया था। इसके एवज में कार्मिक प्रबंधक सुराकछार कोलियरी से जुड़े कर्मचारियों ने 10 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। बाद में 2,000 रुपए में बात तय हुई। शिकायतकर्ता ने सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद 8 नवंबर 2004 को ट्रैप कार्रवाई में दो कर्मचारियों – उमेश यादव और नित्यानंद को पकड़ा गया।

सीबीआई ने इनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं सहित IPC की धारा 120B के तहत केस दर्ज किया। स्पेशल कोर्ट ने दोषियों को डेढ़ साल की सजा और 3000 रुपए जुर्माना सुनाया था। जुर्माना अदा न करने पर 6 महीने की अतिरिक्त सजा का भी प्रावधान किया गया था।

फैसले के खिलाफ दोनों आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की। अधिवक्ता संदीप दुबे ने दलील दी कि ट्रैप की गई राशि स्टोर रूम से जब्त हुई, न कि प्रत्यक्ष रूप से किसी आरोपी के कब्जे से। उन्होंने इसे शिकायतकर्ता की गवाही की विश्वसनीयता पर संदेह बताते हुए सजा को अवैध और दुर्बल करार दिया।

हाईकोर्ट ने सभी तर्कों पर विचार करते हुए सजा को रद्द कर दिया और याचिकाकर्ताओं को राहत दी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *