छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: हाईकोर्ट ने 22 आबकारी अधिकारियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज की, सरेंडर का आदेश

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित ₹3200 करोड़ के शराब घोटाले में फंसे 22 आबकारी अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इन सभी की अग्रिम जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं। जस्टिस अरविंद वर्मा ने कहा कि इतने बड़े घोटाले में शामिल आरोपियों को कानूनी संरक्षण नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने सभी अधिकारियों को निचली अदालत में सरेंडर करने और वहीं से जमानत के लिए आवेदन देने की सलाह दी है।

आरोपियों ने दी थी निर्दोष होने की दलील

अग्रिम जमानत के लिए दाखिल याचिकाओं में आरोपियों ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि उन्हें झूठे मामले में फंसाया जा रहा है और वे EOW की जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं। कई अफसरों ने अपने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राहत की मांग की, लेकिन कोर्ट ने इसे मानने से इनकार कर दिया।

शासन ने किया जमानत का विरोध

सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से याचिकाओं का कड़ा विरोध किया गया। कोर्ट को बताया गया कि सभी आरोपियों को 20 अगस्त तक उपस्थित होने का आदेश दिया गया था, लेकिन वे जांच में सहयोग नहीं कर रहे, जिससे चालान दाखिल नहीं हो सका।

EOW ने किए बड़े खुलासे

घोटाले की जांच कर रहे आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने बताया कि आबकारी विभाग में ओवर बिलिंग, फर्जी बारकोड, और डमी कंपनियों के माध्यम से अवैध वसूली की गई। जांच में सामने आया है कि 2019 से 2022 के बीच 60 लाख से ज्यादा शराब की पेटियां बिना रिकॉर्ड और टैक्स के बेची गईं

EOW के अनुसार, हर महीने 200 से 400 ट्रकों में शराब की आपूर्ति होती थी, जिसकी कीमत ₹2840 से बढ़ाकर ₹3880 प्रति पेटी कर दी गई थी। सरकारी रिकॉर्ड में एंट्री न करने के निर्देश दिए गए थे ताकि पूरा कारोबार कालेधन में चलता रहे

कौन-कौन है गिरफ्त में?

अब तक इस घोटाले में करीब 70 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इनमें कई प्रभावशाली नाम शामिल हैं:

  • पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा
  • पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल
  • सेवानिवृत्त IAS अनिल टुटेजा
  • होटल कारोबारी अनवर ढेबर

इनमें से कई आरोपी पहले से जेल में बंद हैं। अब 22 आबकारी अधिकारियों पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है, जिन्हें पहले ही सरकार ने सस्पेंड कर दिया है

200 से अधिक लोगों से पूछताछ

EOW ने इस घोटाले की जांच के लिए अब तक 200 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की है, जिनमें शराब कारोबारी, विभागीय अफसर, हवाला एजेंट और अन्य शामिल हैं।


क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?

ये घोटाला पूर्व भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में सामने आया, जिसमें आरोप है कि आईएएस अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के MD एपी त्रिपाठी, और व्यापारी अनवर ढेबर की मिलीभगत से डमी कंपनियों और नकली होलोग्राम के जरिये सरकारी शराब की बिक्री में हजारों करोड़ की अवैध कमाई की गई। इसकी जांच अब ED और EOW दोनों एजेंसियां कर रही हैं।

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