बिलासपुर। प्रदेश की जेलों में कैदियों और उनके परिजनों से अवैध वसूली के मामलों को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बेहद गंभीर मानते हुए राज्य सरकार और जेल प्रशासन से कड़ी जवाबदेही तय की है। सोमवार को सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की खंडपीठ ने कहा कि “जेलें सुधारगृह कहलाती हैं, लेकिन यहां से जब भ्रष्टाचार और जबरन वसूली की खबरें आती हैं तो यह चिंताजनक स्थिति है।”
अदालत ने डीजी (जेल) एवं सुधार सेवाओं से पूछा है कि अब तक दोषी जेलकर्मियों पर क्या कार्रवाई हुई और उसका परिणाम क्या रहा। इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट अगली सुनवाई, 22 सितंबर 2025, को प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है।
अवैध वसूली के चौंकाने वाले तथ्य
- दुर्ग सेंट्रल जेल: 87 मामले दर्ज, जिनमें छह पर चार्जशीट दाखिल, पांच मुकदमे लंबित। एक मामले में आरोपित बरी, एक की जांच जारी। चौकाने वाली बात यह कि जेल से बाहर एक नाश्ता केंद्र के मोबाइल नंबर से फोन-पे के जरिए वसूली की गई।
- जांजगीर-चांपा जेल: दो गार्डों पर कैदी के परिजनों से पैसे मांगने का आरोप साबित। पुलिस जांच के बाद कार्रवाई का प्रस्ताव भेजा गया।
- सारंगढ़-बिलाईगढ़ उपजेल: कैदियों से वसूली और मारपीट का मामला, छह आरोपितों पर एफआईआर, केस ट्रायल कोर्ट में लंबित।
- जशपुर जिला जेल: अधिवक्ता की शिकायत— उसके भाई से फोन कॉल की सुविधा दिलाने के नाम पर गार्ड ने पैसे मांगे। जांच के लिए समिति गठित।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
हाईकोर्ट ने कहा कि इस तरह की घटनाएं कैदियों के मूल अधिकारों का उल्लंघन हैं और यह कानून व्यवस्था पर गहरी चोट है। अदालत ने ऑनलाइन भुगतान तक के इस्तेमाल को बेहद गंभीर अपराध बताते हुए चेतावनी दी कि दोषियों पर ठोस और कड़ी कार्रवाई अनिवार्य है।