स्वतंत्रता दिवस की सुबह कार्यालय में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होने के लिए प्रदीप भोले कार्यालय जाने के लिए निकले हुए थे। रास्ता लंबा था, ऊपर से बेलगाम यातायात से निर्मित अव्यवस्था से जूझते हुए वे आगे बढ़ रहे थे। गांधी चौक पर पहुंचे थे तब उन्होंने देखा कि कुछ हट्टे कट्टे,चौड़ी छाती वाले नवयुवक एक अधेड़ व्यक्ति से तू तू मैं मैं और हाथापाई कर रहे थे।

अधेड़ व्यक्ति के साथ अभद्र व्यवहार करने वाले नवयुवकों को रोकने टोकने का साहस कोई नहीं कर रहा था। वहां अनेक चौड़ी छाती वाले लोग मूक दर्शक बने खड़े थे। तभी एक दुबला पतला बुजुर्ग व्यक्ति सामने आया। उसने गुंडे मवाली दिखने वाले चौड़ी छाती के मालिकों को हाथ जोड़ते हुए कहा- जाने दो बच्चों, इन्हें छोड़ दो। इनसे गलती हुई हो तो मैं दिल से माफी चाहता हूं।

बूढ़े व्यक्ति की विनम्रता का तत्काल असर हुआ। चौड़ी छातीधारी नवयुवकों के साथ ही वहां खड़े अन्य तमाशबीन लोग अपने अपने रास्ते निकल गए। तब प्रदीप भोले ने आगे बढ़कर सड़क पर गिरे अधेड़ व्यक्ति को उठाया और सहासी बूढ़े व्यक्ति से कहा- अत्याचारियों की चौड़ी छाती से कहीं अधिक बड़ी तो आपकी छाती है।
आजादी के पर्व पर आज आपने बता दिया कि छाती की चौड़ाई नहीं छाती में समाई विनम्रता ही अधिक बलशाली होती है। हां हां बेटा सही कह रहे हो। हिन्दुस्तानियों की विनम्रता को देखकर फिरंगियों को भी पसीना आ जाता था। कहते हुए बूढ़े व्यक्ति ने अपनी जेब में रखे तिरंगा बने तमगे को निकाल कर प्रदीप भोले की छाती पर लगा दिया।

विजय मिश्रा ‘अमित’
पूर्व महाप्रबंधक (जन) अग्रोहा कॉलोनी, रायपुर (छग) 492013
मो. 9893123310