छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की लचर हालत को लेकर दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को हाईकोर्ट की डबल बेंच ने शासन के हलफनामे पर नाराजगी जताई।मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की पीठ ने शासन द्वारा पेश किए गए हलफनामे को "भ्रामक और त्रुटिपूर्ण" बताते हुए परिवहन सचिव और आयुक्त को गुरुवार को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है।

क्या है मामला?
याचिका में सार्वजनिक परिवहन के संचालन में लापरवाही और बसों की संख्या को लेकर सवाल उठाए गए थे। बिलासपुर में कितनी बसें संचालित हो रही हैं—इस पर शासन की ओर से बताया गया कि 9 में से 6 बसें चालू हैं और 5 फिलहाल चल रही हैं।
लेकिन कोर्ट ने मीडिया में आई वास्तविक स्थिति से अलग रिपोर्ट पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि ऐसे हलफनामे न्यायालय की अवमानना के दायरे में आ सकते हैं। हाईकोर्ट अब अगली सुनवाई में विस्तृत और पारदर्शी जानकारी की मांग कर रहा है ताकि शहरी परिवहन में सुधार की दिशा में ठोस पहल हो सके।