High court का बड़ा फैसला: विभागीय गलती से मिले अधिक वेतन की नहीं होगी वसूली, आदेश तत्काल प्रभाव से लागू

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी के शासकीय कर्मचारियों के पक्ष में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए साफ कर दिया है कि यदि वेतन निर्धारण शाखा की गलती से किसी कर्मचारी को अधिक वेतन मिला है, तो उसकी वसूली नहीं की जा सकती।

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच ने यह फैसला दुर्ग जिले के बघेरा एसटीएफ में पदस्थ आरक्षक दिव्य कुमार साहू व अन्य कर्मचारियों से संबंधित मामले में सुनाया। अदालत ने राज्य सरकार द्वारा जारी वसूली आदेश को निरस्त कर दिया और निर्देश दिया कि यदि पूर्व में कोई राशि वसूली गई है, तो उसे 6% वार्षिक ब्याज सहित कर्मचारियों को लौटाया जाए।

मामले की पृष्ठभूमि
वेतन निर्धारण में हुई त्रुटि के कारण आरक्षक दिव्य कुमार साहू व अन्य कर्मचारियों को अधिक वेतन भुगतान किया गया था। इसकी जानकारी होने के बाद पुलिस अधीक्षक बघेरा ने वसूली आदेश जारी कर वेतन से कटौती शुरू कर दी। इस आदेश को कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।

पहले सिंगल बेंच ने वसूली आदेश रद्द किया था, लेकिन राज्य सरकार ने डिवीजन बेंच में अपील दायर की। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के स्टेट ऑफ पंजाब बनाम रफीक मसीह (2015) मामले का हवाला दिया, जिसमें साफ कहा गया है कि विभागीय गलती से मिले अधिक वेतन की वसूली तृतीय श्रेणी कर्मचारियों से नहीं की जा सकती।

डिवीजन बेंच ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार की अपील खारिज कर दी और स्पष्ट किया कि विभागीय त्रुटि की जिम्मेदारी कर्मचारी पर नहीं थोपी जा सकती। बिना गलती के आर्थिक दंड देना संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *