बिलासपुर हाईकोर्ट ने मेडिकल की पीजी छात्रा को मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना देने के आरोपी डॉ. आशीष सिन्हा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा की एकलपीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि यह अपराध कार्यस्थल पर महिला की गरिमा और शारीरिक स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है, जो अत्यंत गंभीर और संवेदनशील है। अदालत ने स्पष्ट किया कि एफआईआर न तो प्रेरित प्रतीत होती है, न ही इसमें किसी प्रकार की देरी है।

डॉ. आशीष सिन्हा ने अग्रिम जमानत की मांग करते हुए दावा किया कि वे एक सरकारी कर्मचारी हैं और यदि गिरफ्तारी होती है तो उनका करियर पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा। अधिवक्ता ने तर्क दिया कि विशाखा समिति की जांच रिपोर्ट में आरोप साबित नहीं हुए थे और शिकायतकर्ता ने उन्हें व्यक्तिगत रंजिश के चलते फंसाया है।
हालांकि अदालत ने इन दलीलों को खारिज करते हुए माना कि प्राथमिकी में लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया गंभीर हैं और अग्रिम जमानत का आधार नहीं बनते। कोर्ट के इस फैसले के बाद आरोपी की गिरफ्तारी की संभावना और बढ़ गई है। मामला महिला सुरक्षा और कार्यस्थल की गरिमा से जुड़ा होने के कारण विशेष रूप से महत्वपूर्ण बन गया है।