:अशोक भौमिक:
चित्रकला इतिहास में युद्धचित्रों की कमी नहीं है, लेकिन ऐसे अधिकांश चित्रों का उद्देश्य, किसी देश की जनता में दुश्मन मुल्क की जनता के प्रति द्वेष और अपने देश के प्रति प्रेम बढ़ाना होता है। इन चित्रों में प्रमुख रूप से अपने देश के युद्धरत सैनिकों के शौर्य, पराक्रम और बलिदान का चित्रण होता है। हालाँकि कुछ ऐसे युद्ध चित्र भी हैं, जो इतिहास में युद्ध विरोधी चित्रों के रूप में जाने जाते हैं। चित्रकार पाब्लो पिकासो द्वारा 1937 में बनाया गया चित्र ‘गेर्निका’ (गुएर्निका) एक ऐसा ही चित्र है।

द्वितीय विश्वयुद्ध के ठीक पहले के दौर में, जर्मनी के शासक हिटलर के साथ स्पेन के फ्रांसिस्को फ्रैंको और इटली के मुसोलिनी जैसे तानाशाहों ने न केवल अपने देशों में ही जनता पर अपना क्रूर दमन-चक्र चलाया था, बल्कि स्पेन के तानाशाह के विरुद्ध संघर्षरत जनता को कुचलने के लिए भी मिलकर काम किया था। स्पेन का गृहयुद्ध, अपने तानाशाह शासक फ्रैंको के खिलाफ था। इस युद्ध में जब फ्रैंको को अपना पतन दिखने लगा तो उसने मुसोलिनी और हिटलर से मदद माँगी। इटली और जर्मनी की वायुसेना ने 26 अप्रैल 1937 को सम्मिलित रूप से बमबारी कर इस शहर को ध्वस्त कर दिया था। इस अमानवीय नरसंहार ने पिकासो को बहुत गहरे तक प्रभावित किया था। हालाँकि, इस चित्र में केवल उस बमबारी का ही चित्रण नहीं है बल्कि, गृहयुद्ध के दौरान स्पेन की जनता पर हुए अत्याचारों का यह एक दस्तावेज भी है।

पाब्लो पिकासो
पिकासो ने इस विशालकाय भित्ति चित्र (137.4 इंच × 305.5 इंच) को पेरिस में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी में स्पेन के मंडप के हेतु इसलिए बनाया था ताकि विश्व भर के लोग स्पेन के गृहयुद्ध की असलियत को जान सकें। इस चित्र में काले, सफ़ेद और सलेटी रंग का प्रयोग, चित्र को और ज्यादा प्रभावशाली बनाता है। चित्र को देखने पर यह एक प्रोसीनियम या रंगद्वारी रंगमंच पर घटित हो रही अनेक घटनाओं का कोलाज जैसा लगता है। चित्र को बाएँ से दाहिनी ओर देखते हुए हम इसे लगभग चार समान हिस्सों में बाँट सकते हैं। पहले हिस्से में एक साँड है, जिसकी पूँछ आग की लपटों जैसी लहराती हुई दिखती है। इस साँड के ठीक नीचे, अपने मृत शिशु को गोद में लिये एक विलाप करती हुई औरत है, जिसके नीचे एक आदमी अपनी बाहें फैलाये फर्श पर पड़ा हुआ है।
चित्र के दूसरे हिस्से में हम चीखते हुए एक घायल घोड़े को देख पाते हैं, जिसके खुले हुए मुँह का अग्रभाग एक खोपड़ी (करोटी या स्कल) जैसा है।घायल घोड़े ने अपना दाहिना घुटना फर्श पर टिका दिया है। इस घुटने से सटा, फर्श पर एक कटा हुआ हाथ भी है, जिसकी मुट्ठी में एक टूटी तलवार की मूठ है। गौर से देखने पर पता चलता है कि हथेली की यह पकड़ तलवार पकड़ने की नहीं है बल्कि, पीठ पीछे से वार करने वाले चाकू को पकड़ने की है।
तीसरे हिस्से में एक औरत हाथ में लालटेन लिए खिड़की से, बादल या धुएँ के गुबार की तरह कमरे में दाख़िल होती- सी लगती है, जिसके नीचे फर्श पर रेंगती दूसरी महिला भी उसी दिशा में बढ़ने की कोशिश करती दिखती है। चित्र के चौथे हिस्से में आर्तनाद करता हुआ एक आदमी है। यहाँ बंद दरवाजे की दरार से बाहर हुए विस्फोट की कौंध भी दिख रही है। इस प्रकार आतंक से भरे इस चित्र के सबसे दाईं ओर साँड की ‘निर्लिप्त’ उपस्थिति हमें चकित करती है, साथ ही एक निर्जीव बल्ब का चित्र के बीचोबीच ऊपरी हिस्से में जलना, मानो कोई अदृश्य पूरे दृश्य को ‘प्रकाशित’ कर रहा हो।
‘गेर्निका’ चित्र के विभिन्न तत्त्वों या उपस्थितियों पर विभिन्न विद्वानों द्वारा की गई अनेक व्याख्याएँ उपलब्ध हैं लेकिन, जब कोई दर्शक स्वयं इसे अनुभव करने की कोशिश करता है तो यह चित्र एक महाकाव्य की तरह परत-दर-परत खुलता चला जाता है। वर्तमान में यह चित्र स्पेन के मेड्रिड शहर स्थित रेने सोफिया संग्रहालय में प्रदर्शित है।