:दिलीप गुप्ता:
सरायपाली। मुस्लिम जमात सरायपाली के तत्वावधान में चल रही दस दिवसीय मुहर्रम की तक़रीर के अंतर्गत पाँचवीं महफ़िल बड़े ही भव्य और रूहानी माहौल में संपन्न हुई। इस अवसर पर विशेष अतिथि और मुकर्रिर, पीरे तरीक़त, रहबरे राहे शरीअत, ख़लीफ़ा-ए-हज़ूर हामिदे मिल्लत, हज़रत अल्लामा मुफ्ती इरशादुल क़ादरी अजहरी साहब क़िब्ला (बानी व मोहतमिम, मदरसा कादरिया बुरहानिया लिलबनात, पाटन, जबलपुर) ने “ज़िक्र-ए-मुज्तबा इमामे हसन (अ.स) और मदीना से मक्का की जानिब इमामे हुसैन (अ.स) का रूहानी सफर” विषय पर एक अत्यंत प्रभावशाली और दिलों को झकझोर देने वाली तक़रीर पेश की।
अपने बयान में हज़रत ने कर्बला के शहीदों की कुर्बानियों और उनके किरदार पर रौशनी डालते हुए कहा कि इमामे हसन (अ.स) ने सब्र, अम्न और इत्तेहाद का पैग़ाम दिया, वहीं इमामे हुसैन (अ.स) ने मक्का की ओर रुख करके हक़ और इंसाफ़ की मिसाल कायम की। यह सफर एक रूहानी आंदोलन बन गया, जो आज भी इंसानियत को राह दिखाता है।
इस तक़रीर में मुस्लिम समाज के बच्चे, बुज़ुर्ग और महिलाएं बड़ी संख्या में शामिल हुए। रात 10 से 12 बजे तक चली इस महफ़िल में श्रद्धा, तालीम और तहज़ीब का संगम देखने को मिला, जो समाज में एकता और जागरूकता का संदेश दे रहा है।
हज़रत मुफ्ती इरशादुल क़ादरी साहब ने नौजवानों को नशे से दूर रहने, कर्बला के शहीदों के किरदार से सीख लेने और समाज की तरक्की में भागीदारी निभाने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि आज का युवा अगर इमाम हुसैन (अ.स) की राह पर चले तो उसकी ज़िंदगी भी बेहतर हो सकती है।
महिलाओं की भागीदारी भी विशेष रुप से रही। काफी संख्या में महिलाओं ने तकरीर का लाभ उठाया । रहनुमा कमेटी तथा अन्य माताओं-बहनों के सहयोग से दोपहर में कुरआन ख़्वानी का आयोजन किया जा रहा है। इसमें महिलाएं बड़ी संख्या में शरीक होकर शहीदाने कर्बला को इसाले सवाब पहुँचा रही हैं। यह महिलाओं के दीनी जुड़ाव और समाज में उनकी भूमिका को दर्शाता है।
आने वाली महफ़िलों में कर्बला के अन्य शहीदों से जुड़ी तक़रीरें पेश की जाएंगी और यह रूहानी सिलसिला 10 मुहर्रम को विशेष दुआ और अंतिम महफ़िल के साथ संपन्न होगा।
इस आयोजन को सफल बनाने में मुस्लिम जमात के ज़िम्मेदारों – हाजी शाहिद खान (मुतवल्ली), असफाक खान (नायब मुतवल्ली), रफीक़ुल्लाह खान (सेकेट्री), डॉ. शाहजहां (कैसियर), शेख नकीब, मोहम्मद अख्तर, मोहम्मद ग़ुलाम दस्तगीर, मजहर खान, सफीउल्लाह खान, मुस्तफीज़ आलम, मोहम्मद इक़बाल, इमरान मेमन, मतहर अली, मुजाहिद खान, जुनेद खान, मोहम्मद रहमत खान और चमन साहू (साउंड ऑपरेटर) का विशेष योगदान रहा।
महफ़िल की रौनक को बढ़ाने में उलमाए किराम मौलाना अब्दुसत्तार अशरफी, मौलाना मोहम्मद सिराजुद्दीन और मौलाना मोहम्मद मुस्लिम अत्तारी की उपस्थिति विशेष रूप से थी ।
यह आयोजन सरायपाली क्षेत्र में धार्मिक ज्ञान, सभ्य आचरण और आपसी एकता की भावना का अच्छा अनुभव व पहल है ।