:राजकुमार मल:
भाटापारा- शांत है 65 से 70 रुपए किलो पर लिक्विड ग्लूकोज। फलत: राहत की सांस ले रहीं हैं, लड्डू, पापड़ी और रेवड़ी बनाने वाली छोटी ईकाइयां क्योंकि इन सामग्रियों की डिमांड निकली हुई है।
पीपरमेंट लगभग खत्म लेकिन लिक्विड ग्लूकोज की मांग अब लड्डू, पापड़ी और रेवड़ी बनाने वाली ईकाइयां कर रहीं हैं। इससे कमजोर डिमांड का सामना कर रहे लिक्विड ग्लूकोज को मजबूत आधार मिल रहा है। डिमांड इसलिए भी बढ़ रही है क्योंकि कीमत स्थिर है और बढ़त की संभावना नहीं के बराबर है।

अब लड्डू, पापड़ी और रेवड़ी
पीपरमेंट यूनिटें बंद। लिक्विड ग्लूकोज का सहारा थीं यह सामग्री बनाने वाली ईकाइयां। अब लड्डू, पापड़ी और रेवड़ी बनाने वाली छोटी ईकाइयां लिक्विड ग्लूकोज का नया मांग क्षेत्र बन रहीं हैं। क्योंकि ग्रामीण बाजार की मांग इन खाद्य सामग्रियों में अच्छी-खासी है। विस्तार की संभावना इसलिए भी बनी हुई है क्योंकि प्रमुख कच्ची सामग्री लिक्विड ग्लूकोज बीते डेढ़ साल से 65 से 70 रुपए किलो पर स्थिर है।
सेल्फ लाइफ ज्यादा
लिक्विड ग्लूकोज से बनने वाली सामग्रियों की सेल्फ लाइफ शक्कर या गुड़ से बनने वाली सामग्रियों की तुलना में करीब एक पखवाड़े ज्यादा मानी जाती है। इसके अलावा मिठास भी अपेक्षाकृत अधिक होती है। यही वजह है जिसने लिक्विड ग्लूकोज की मांग बढ़ाई हुई है। प्रति किलो कीमत का कम होना तीसरी ऐसी वजह है, जिसने मांग को मजबूती दी हुई है।
आए दिन डिमांड के
स्कूली छात्र तो सर्वकालिक मांग क्षेत्र माने जाते हैं। चालू जुलाई माह पर्व एवं त्यौहार का संदेश लेकर आ पहुंचा है। सावन का महीना, शिवरात्रि, हरियाली तीज, नाग पंचमी और तुलसीदास जयंती। यह कुछ ऐसे प्रमुख पर्व एवं त्यौहार हैं, जब देवालयों में विशेष पूजा अर्चना होगी और प्रसाद के रूप में रेवड़ियों के साथ विभिन्न सामग्री भक्तों में बांटी जाएंगी।