विधायक चातुरी नंद ने उठाया पुलिस आरक्षक आत्महत्या मामला

राजनांदगांव जिले में पुलिस भर्ती में गड़बड़ी के बाद आरक्षक ने की थी आत्महत्या
मृत आरक्षक अनिल रत्नाकर सरायपाली क्षेत्र के ग्राम सूखापाली का था निवासी

सरायपाली: सरायपाली विधायक चातुरी नंद ने बजट सत्र के दौरान राजनांदगांव जिले में पुलिस भर्ती में गड़बड़ी के बाद आरक्षक अनिल रत्नाकर के आत्महत्या मामले में गृहमंत्री से सवाल पूछा। विधायक चातुरी नंद के तारांकित सवाल के लिखित जवाब में गृहमंत्री ने बताया कि जिला राजनांदगांव में वर्ष 2024 में पुलिस भर्ती में गड़बड़ी पाई गई थी। थाना लालबाग, जिला-राजनांदगांव में अपराध क्रमांक 568/24, धारा 318(4), 338, 336(3), 340(2) बीएनएस पंजीबद्ध कर आरोपीगण महिला आरक्षक पुष्पा चन्द्रवंशी, परिधि निषाद, आरक्षक धर्मराज मरकाम, सुन्दर लाल नेताम, कार्तिक देशलहरे, विकास सिंह राजपूत, पवन चौरे, योगेश कुमार धुर्वे अभ्यार्थी मीना पात्रे, नेहा चन्द्रवंशी, कम्प्यूटर आपरेटर नुतेश्वरी धुरर्वे, फवेन्द्र कुमार चनाप, विशाल यादव, यशवंत उईके लाईका आपरेटर पवन कुमार साहू के विरूद्ध साक्ष्य पाये जाने से गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया हैं। गृहमंत्री विजय शर्मा ने अपने जवाब में यह भी बताया कि आरोपी महिला आरक्षक 610 काजल की गिरफ्तारी शेष है। विधायक नंद के सवाल के जवाब में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि आरक्षक भर्ती कार्य में संलग्न आरक्षक क्रमांक 1791 अनिल कुमार रत्नाकर द्वारा फांसी लगाकर आत्महत्या की गयी थी। थाना-लालबाग, जिला-राजनांदगांव में मर्ग क्रमांक- 117/24 धारा-194 बीएनएस पंजीबद्ध कर जांच में लिया गया है। अब तक जांच में मृतक आरक्षक भर्ती प्रक्रिया में आने वाले अभ्यर्थियों एवं अन्य के साथ मिलकर रूपये के बदले अभ्यर्थियों के नम्बर में हेरफेर किया जाना पाया गया। मर्ग जांच जारी है। विधायक चातुरी नंद ने मीडिया को जारी किए अपने बयान में आरक्षक आत्महत्या मामले में कई सवाल उठाते हुए पुलिस विभाग को कटघरे में खड़ा किया है। विधायक नंद ने इस मामले में सवाल उठाते हुए पूछा कि गृहमंत्री ने खुद माना है कि आरक्षक भर्ती में गड़बड़ी हुई है लेकिन एक भी पुलिस अफसर पर कार्रवाई नहीं हुई है सिर्फ आरक्षकों पर कार्रवाई कर भर्ती प्रक्रिया के जिम्मेदार अफसरों को बख्श दी गई है। उन्होंने गृहमंत्री से सवाल दागते हुए कहा कि पुलिस अफसरों के दबाव में एक आरक्षक ने आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया लेकिन शासन प्रशासन चुप्पी साधे हुए है। आरक्षक ने आत्महत्या के पूर्व अफसरों पर बड़ा आरोप लगाया था। साथ ही उनके परिजनों ने भी पुलिस के जिम्मेदार अफसरों को दोषी ठहराया था उसके बावजूद आज तक इस मामले में कोई ठोस कदम उठाया नहीं गया है और दोषी अफसरों को बचा लिया गया है। उन्होंने कहा कि आत्महत्या मामले में उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग मैं मुख्यमंत्री और गृहमंत्री जी से करती हूं। विधायन नंद ने कहा कि एक ओर साय सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉरलेंस की नीति की बात करती है दूसरी ओर पुलिस विभाग, वन विभाग समेत कई विभागों में चल रही भर्तियों में कई प्रकार की गड़बड़ियां सामने आ रही है। ऐसी घटनाओं से भाजपा सरकार की कथनी और करनी में फर्क स्पष्ट दिखाई देता है।