चारामा। महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव मंदिरों देवालयों में विशेष पूजा अर्चना का महत्व रहता है, वही शिवरात्रि के अवसर पर सदियों से लोग सुबह-सुबह नदियों में नहाकर देव मंदिरों में जाने की परंपरा को विशेष मानते आए हैं। और बीते सालों तक क्षेत्र की जीवनदायनी महानदी में भी शिवरात्रि के अवसर पर लोग स्नान कर मंदिरों में पूजा अर्चना के लिए जाया करते थे,लेकिन इस वर्ष क्षेत्र की जीवनदायनी महानदी सहित अन्य किसी भी नदी में भी एक बूंद पानी नहीं होने से श्रद्धालुओं की सदियों पुरानी परंपरा अधूरी रही, भक्त शिवरात्री पर महानदी में नहाने तो पहुंचे, लेकिन कहीं पर भी उन्हें पानी नहीं मिला, जिसके चलते हुए नदी में नहाने की इच्छा को अधूरी कर वापस लौटे। हर साल शिवरात्रि के पहले दुधवा बांध से पानी छोड़ा जाता था,ताकि लोग शिवरात्रि में उस पानी से नहा कर पूजा अर्चना करें,लेकिन इस साल दुधवा बांध से भी पानी नहीं छोड़ा गया। जिसके कारण महानदी सुखी रही। जिसक़े कारण शिव भक्तों मैं नाराजगी देखी गई। शिव भक्तों का कहना था कि प्रशासन के द्वारा महाशिवरात्रि जैसे पर्व पर भक्तों की आस्था का ख्याल नहीं किया गया, जो प्रशासन प्रतिवर्ष बिना देरी किए शिवरात्रि के पहले दुधवा बांध से पानी छोड़ रहा था, जिसके कारण महानदी में पानी रहता था और शिवरात्रि पर भक्त नदी में नहाकर मंदिर में पूजा करते थे, लेकिन इस साल महानदी में पानी नहीं होने के कारण भक्तों की यह इच्छा अधूरी रही, शिव भक्तों ने आगे बताया कि यह सब प्रशासन के द्वारा जानबूझकर किया जा रहा है प्रशासन के द्वारा महानदी क़े हर घाट पर लगातार रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है,अगर महानदी में पानी छोड़ा जाता तो रेत का उत्खनन बंद करना पड़ता और प्रशासन नहीं चाहता की रेत का उत्खनन बंद हो, इस वजह से उन्होंने इस साल सदियों से आ रही परंपरा को तोड़ते हुए महानदी में पानी नहीं छोड़ा और प्रशासन ने लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ किया है।
महानदी में पानी नहीं होने के कारण भक्तों की स्नान की इच्छा अधूरी रही

26
Feb