Bhatapara news- उर्वरक और सिंचाई सबसे कम, नाम है मेहंदी

दो बार काटी जा सकती है फसल

राजकुमार मल
भाटापारा। सभी तरह की मिट्टी में की जा सकती है खेती। उर्वरक और सिंचाई पानी सबसे कम क्योंकि बेहद गहराई तक जाती है इसकी जड़ें। नाम है मेहंदी, जिसकी खेती की तैयारी का समय आ रहा है।
नवाचार और प्रयोगधर्मी किसानों के लिए अच्छी खबर। अपने छत्तीसगढ़ में भी मेहंदी की व्यावसायिक खेती की जा सकती है क्योंकि इसकी झाडिय़ां किसी भी तरह की भूमि में तैयार हो जातीं हैं। विशेष बात यह है कि फसल की कटाई साल में दो बार की जा सकती है।
इसलिए अपने यहां भी
सभी रह की भूमि में आसानी से बढ़वार लेता है, मेहंदी का पौधा। इसके अलावा मेहंदी की जड़ें काफी गहराई तक जातीं हैं। जहां से वह, नमी और पोषक तत्वों को आसानी से ग्रहण करती है। यही वजह है कि इसे सिंचाई और उर्वरक की जरूरत सबसे कम होती है। ऐसे में सिंचाई, पानी और उर्वरकों की खरीदी से किसानों को बचाया जा सकता है।

मार्च में नर्सरी, जुलाई में रोपण
समय है बीजोपचार का। बाद के फरवरी माह में कल्टीवेशन और अगले माह यानी मार्च में नर्सरी तैयार की जाती है। 100 दिन बाद तैयार पौधे, जुलाई के प्रथम सप्ताह में रोपण किए जाते हैं। रोपण के फौरन बाद पहली सिंचाई की जाती है। बाद के दिनों में केवल निगरानी और कीट प्रकोप से बचाव के उपाय करने होंगे। यानी बेहतर फसल के लिए सतत मॉनिटरिंग अनिवार्य होगी।
दो बरस बाद तैयार
मेहंदी की फसल 2 बरस बाद तैयार होती है। तैयार फसल, दो बार काटी जा सकती है। पहली कटाई मार्च से अप्रैल के मध्य और दूसरी कटाई अक्टूबर से नवंबर के बीच की जा सकेगी। प्रति एकड़, प्रति कटाई से 6 से 8 क्विंटल पत्तियां, फसल के रूप में हासिल की जा सकती है। प्रबंधन बेहतर रहा, तो उत्पादन में बढत मिलने की संभावना है।

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यह हैं खरीददार
मेहंदी के फूल, फल, बीज और छाल की खरीदी औषधि निर्माता कंपनियां करतीं हैं। पत्तियों का बाजार वृहद है। कॉस्मेटिक और ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने वाली इकाइयां बड़ी मात्रा में खरीदी करतीं हैं। पूरे साल पर्व त्यौहार और शादियों में मांग में बनी रहती है मेहंदी। मालूम हो कि देश में राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार में व्यावसायिक खेती की जाती है।
प्राकृतिक रंग का प्रमुख स्रोत
मेहंदी एक बहुवर्षीय झाड़ीदार फसल है जिसे व्यावसायिक रूप से पत्ती उत्पादन के लिए उगाया जाता है। यह प्राकृतिक रंग का एक प्रमुख स्रोत है। मेहंदी शुष्क एवं अर्धशुष्क क्षेत्र में बहुवर्षीय फसल के रूप में टिकाऊ खेती के सबसे अच्छे विकल्पों में से एक है। मेहंदी की खेती पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक है।
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर

 

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