अनुपयोगी प्लास्टिक के कचरा की मदद से चलाना पड़ता है स्वच्छता अभियान

दस्तानों की कमी से हाथों की दुर्गंध को खत्म करने स्वयं खरीद रही साबुन

दिपेश रोहिला-

पत्थलगांव । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश में शुरू की गई स्वच्छता अभियान को सुदृण बनाने के लिए पत्थलगांव शहर के 15 वार्डों में सुबह होने से पहले तिनका तिनका कचरा उठाकर स्वच्छता अभियान में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने वाली महिलाएं अपनी समस्याओं के दूर नहीं हो पाने से काफी परेशान हैं।

इन महिलाओं को अपने हाथों से शहर की गंदगी को उठाने की लिए हाथों के दास्तानों की आपूर्ति के अभाव में इन्हें प्लास्टिक की पन्नी से हाथ में बांधकर अपशिष्ट पदार्थों को उठाना पड़ता है, इतना ही नहीं हाथों की दुर्गंध को धोने के लिए साबुन और अन्य जरूरी सामान भी स्वयं खरीदना पड़ रहा है।

इसके साथ साथ नगरपालिका से वेतन भी कम मिलने की मजबूरी है। इन सारी समस्याओं को लेकर स्वच्छता अभियान से जुड़ी महिलाएं काफी क्षुब्ध हैं। लेकिन स्वच्छता अभियान के साथ कम वेतन से मजबूरी होने के कारण कदम कदम पर अभावों के बावजूद अपने काम को लगातार जारी रखी हुई हैं।

स्वच्छता दीदियों ने बताया कि प्रतिवर्ष सफाई के लिए दस्ताने साल में 2–3 बार मिलता था परंतु इस वर्ष मात्र 1 बार ही दस्ताना मिला है। कचरो को उठाने के बाद हाथों में दुर्गंध आने पर साबुन भी हमें स्वयं ही खरीदना पड़ता है।

यहां करीब 3 वर्षों से रखी हुई नगर पालिका की रिक्शा एसएलआरएम सेंटर में पड़ी हुई है। स्वच्छता दीदियों द्वारा इलेक्ट्रॉनिक रिक्शा चलाया जा रहा हैं। यहां लाखों रुपए के सामग्रियों का उपयोग नहीं होने से कचरे के देर में पड़ी हुई है इससे नागरिकों के पैसों का खुला दुरुपयोग हो रहा है। जिस पर पूर्व पार्षद रमेश शर्मा(रम्मू) ने शासन की बड़ी लापरवाही बताई है।