स्कूल जतन योजना, कई स्कूलों में कार्य अधूरे, गुणवत्ता खराब
भानुप्रतापपुर। मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत भानुप्रतापपुर विकासखंड के अंतर्गत लगभग 200 जर्जर स्कूलों की मरम्मत व रंग रोगन कार्य के लिए 6 करोड़ से अधिक की राशि आबंटित हुई है। कार्य प्रारंभ करने के लिए 20 प्रतिशत अग्रिम भुगतान व कार्य प्रारंभ होने के बाद और 20 प्रतिशत राशि का भुगतान ठेकेदारों को किया जा चुका है। वहीं अब अतिरिक्त 20 प्रतिशत राशि भुगतान की तैयारी की जा रही है, जबकि अधिकांश स्कूलों में मरम्मत कार्य 20 प्रतिशत राशि के बराबर भी नहीं हुआ है। कई स्कूलों में 20 प्रतिशत राशि लेने के बाद से ही ठेकेदार ने कार्य ही बंद कर दिया है। बच्चों को मजबूरन जर्जर भवनों में ही बैठना पड़ रहा है। मरम्मत के नाम पर केवल खानापूर्ति करते हुए भारी भ्रष्टाचार किया गया है। इस योजना की वित्तीय देखरेख शिक्षा विभाग व तकनीकी शाखा का कार्य आरईएस विभाग से संचालित हो रहा है। दोनों ही विभाग के अधिकारी मोटी कमीशन लेकर इस योजना का बंटाधार करने में लगे हुए हैं।
ज्ञात हो कि स्कूल जतन योजना के कार्यों की खराब गुणवत्ता व कार्य से अधिक भुगतान की शिकायतों के बाद पत्रकारों ने इसकी पड़ताल में पाया कि ग्राम भुरका के प्राथमिक शाला में ठेकेदार को अग्रिम 20 प्रतिशत राशि भुगतान के बाद केवल फेंसिंग बाउंड्रीवॉल व मिट्टी लेबलिंग का कार्य हुआ है। इसी तरह ग्राम कनेचुर के प्राथमिक शाला में एक कोट पुट्टी व पेंट तथा 2 खिड़कियों में स्लाइडर लगाया गया है उसके बाद से कार्य बंद है। वहीं ग्राम उत्तामार में भी 20 प्रतिशत राशि ठेकेदार को भुगतान कर दिया गया है पर कोई भी कार्य नहीं किया गया है। अधिकतर स्कूलों में अधूरे व गुणवत्ताहीन कार्यों तथा कार्य किये बिना ही 20 से 40 प्रतिशत राशि का भुगतान करा दिया गया है जो जांच का विषय है।
मुंगवाल के स्कूल में मरम्मत कार्य महीनों से बंद
आदिवासी नेता कोमल हुपेंडी ने बताया कि ग्राम पंचायत मुंगवाल के स्कूल में भी मरम्मत कार्य कराया जा रहा था जो महीनों से बंद पड़ा हुआ है, जिसके चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। कार्य की गुणवत्ता भी बेहद खराब है जिसको लेकर खण्ड शिक्षा अधिकारी व एसडीएम कार्यालय में मेरे द्वारा शिकायत किया गया था लेकिन अब तक कार्य शुरू नहीं किया गया है। स्कूल मरम्मत कार्यों की सूक्ष्मता से जांच करने पर कई खामियां नजर आएंगी। जिला प्रशासन से मांग है कि दोषीयों पर कड़ी कार्यवाही हो व मरम्मत का कार्य पूरी गुणवत्ता के साथ जल्द पूर्ण कराया जाए।
कमीशन में बंट रही कार्य की एक चौथाई राशि
स्कूल जतन योजना के कार्यों में गुणवत्ता नहीं आ रही है। सूत्रों के अनुसार कार्य की 26 प्रतिशत राशि केवल कमीशन के रूप में अधिकारियों को बांटी जा रही है। क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों व नगर के चौक चौराहों पर ठेकेदारों की चर्चा है कि खण्ड शिक्षा अधिकारी को 20 प्रतिशत, इंजीनियर को 3 प्रतिशत व एसडीओ को 3 प्रतिशत राशि कमीशन के रूप में देना पड़ता है, ऐसे में गुणवत्तापूर्ण निर्माण कैसे हो सकता है। ग्राम पंचायतों में जितने पैसे में एक नई बिल्डिंग का निर्माण किया जाता है उससे ज्यादा पैसे में स्कूल मरम्मत व रंग रोगन का कार्य किया जा रहा है। उसके बावजूद अधिकारी व ठेकेदार मिलकर जर्जर भवनों में केवल थूक पॉलिश कर पैसा निकाल रहे हैं।