उत्तरप्रदेश। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लिंग परीक्षण मामले की सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि लिंग परीक्षण से संबंधित अपराध की जांच का अधिकार पुलिस के पास नहीं है, और यह भी कि पीसीपीएनडीटी एक्ट अपने आप में एक संपूर्ण संहिता है। न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता ने बुलंदशहर के डॉ. ब्रिज पाल सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए उनके खिलाफ चल रही मुकदमे की कार्रवाई को रद्द कर दिया।
याचिकाकर्ता डॉ. ब्रिज पाल सिंह के खिलाफ 2017 में बुलंदशहर कोतवाली नगर थाने में तहसीलदार खुर्जा ने भ्रूण लिंग पहचान से संबंधित एक रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच की और मजिस्ट्रेट के समक्ष आरोप पत्र पेश किया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने इस पर समन जारी किया, जिसे डॉ. ब्रिज पाल सिंह ने हाई कोर्ट में चुनौती दी और समन आदेश सहित सभी कार्रवाई को रद्द करने की मांग की। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद मुकदमे की कार्रवाई को रद्द कर दिया।