Shraadhpaksha : श्राद्धपक्ष ( पितृपक्ष )
Shraadhpaksha : धर्मशास्त्रों में पितरों की अनंत संख्याओं में सात को प्रधान माना गया है -सुकाला, आंगिरस, सुस्वधा, सोम, वैराज, अग्निश्वात तथा बहिर्षद।
ये दिव्य पितर हैं।
इनके भी अधिपति हैं आदित्य, रूद्र एवं वसु।
मान्यता है कि स्मरण करते ही ये कर्ता के समीप आ जाते हैं
और श्राद्ध ग्रहण कर उसकी वंश परंपरा को बढ़ा देते हैं।
यदि पितर मोक्ष को प्राप्त कर लिए हों, तब भी उनके निमित्त दिया गया
श्राद्ध वसु, रूद्र एवं आदित्य में प्रतिष्ठित हो जाता है और कर्ता को मृत्यु के पश्चात सोमतत्व ( अमृतान्न ) के रूप में प्राप्त हो जाता है।
स्कंद पुराण का कथन है कि यदि उचित समय में समुचित विधि से श्राद्ध संपन्न न किया जा सके, तब भी यथासंभव पूरे श्राद्धपक्ष में पंचबलि करने से श्राद्ध की पूर्णता हो जाती है।
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Shraadhpaksha : पूरे श्राद्धपक्ष में आप अपने घर पे स्वयं से प्रतिदिन पंचबलि और गीता का पाठ करें और अपने पूर्वजों के मृत्यु तिथि ( तिथि न मालूम होने पे सर्वपितृ अमावस्या ) को तर्पण अवश्य करें।