राजकुमार मल
Mahua को लेकर ओपन मार्केट में हताशा का माहौल
Mahua भाटापारा- 2 राज्यों से सीधा मुकाबला। chhattisgarh के सामने यक्ष प्रश्न है कि अपने परंपरागत खरीददार को अपने लिए कैसे सुरक्षित रखा जाए ? इस बीच भाव ने गोता लगाना चालू कर दिया है। Mahua इसमें 300 रुपए की टूट अब तक आ चुकी है। इसमें और गिरावट के प्रबल आसार बनते नजर आ रहें हैं।
Mahua जी हां, बात हो रही है उस महुआ की, जिसे पहली बार समर्थन मूल्य की सूची में शामिल किया गया है। इससे संग्राहकों में उत्साह बढ़ा और भारी मात्रा में महुआ की खरीदी हुई, लेकिन ओपन मार्केट में हताशा का माहौल बन चुका है क्योंकि सीजन के दिनों में खरीदी के लिए अधिक पूंजी लगानी पड़ी।
Mahua अब हालात इस कदर नाजुक हो चुके हैं कि इस बाजार के सामने अपने परंपरागत खरीदी क्षेत्र को बचाकर रखने का संकट खड़ा हो चुका है क्योंकि उसे मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से कड़ी टक्कर मिल रही है। यह इसलिए क्योंकि इन दोनों राज्यों में भी इस बरस mahua की रिकॉर्ड फसल हुई है। फलस्वरुप कीमत लगातार टूट रही है।
प्रतिस्पर्धा इन राज्यों से
Mahua पड़ोसी मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में इस बरस महुआ के record crop हुई है। इस परिस्थिति की वजह से यह दोनों राज्य, उपभोक्ता मांग वाले राज्यों की तलाश में थे। record crop की वजह से कीमत टूटी और उपभोक्ता मांग में अचानक उछाल आई।
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इसका लाभ महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश को मिला। अब यह दोनों, chhattisgarh के परंपरागत खरीदी क्षेत्र को अपने पाले में लाने की कोशिश में हैं। इसमें सफलता भी मिल रही है क्योंकि छत्तीसगढ़ की फसल की कीमत के लिहाज से उनकी फसल की कीमत कम ही है।
उपभोक्ता मांग यहां से
बिहार, झारखंड और उड़ीसा, देश में ऐसे तीन राज्य हैं, जहां महुआ की सबसे ज्यादा खपत होती है। यह तीन प्रदेश छत्तीसगढ़ के परंपरागत खरीदी करने वाले राज्य हैं। इनमें उड़ीसा की खरीदी कमजोर है क्योंकि इसके यहां भी महुआ की फसल का बेहतर होना बताया जा रहा है। बचे दो राज्य झारखंड और बिहार ने छत्तीसगढ़ की बजाय मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से महुआ की खरीदी को प्राथमिकता देना चालू कर दिया है क्योंकि कीमत छत्तीसगढ़ की तुलना में काफी कम है।
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संकट में छत्तीसगढ़
समर्थन मूल्य पर महुआ की खरीदी की व्यवस्था के बाद पहले से ही बढ़ी हुई कीमत पर खरीदी कर चुके छत्तीसगढ़ के ओपन मार्केट के सामने अपनी उपज बेचने के लिए जैसी स्थितियां बन चुकी हैं, उसने पूंजी संकट को एक तरह से न्योता दे दिया है। यह इसलिए क्योंकि ऊंची कीमत पर खरीदी के लिए जो पूंजी लगाई गई है, उसकी वापसी अंधेरे में ही है। इसलिए 3000 से 3200 रुपए क्विंटल पर सौदे लिए जा रहें हैं लेकिन कारोबारी माहौल इसके बाद भी ठंडा ही है। संकेत और गिरावट के बने हुए हैं।
– सुभाष अग्रवाल, संचालक, एसपी इंडस्ट्रीज, रायपुर
उपभोक्ता मांग का प्रवाह मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की ओर है। इससे छत्तीसगढ़ के सामने संकट ही है। इसलिए कीमतों में गिरावट का रुख बना हुआ है।