दुनिया की नई धुरी

व्लादीमीर पुतिन ने अब दो टूक एलान किया है कि ‘एक ध्रुवीय विश्व’ का अंत हो चुका है। चीन के बयानों से साफ है कि वह इस आकलन में रूस के साथ है।
अब यह कोई छिपी बात नहीं है कि चीन और रूस दुनिया में एक ऐसी धुरी बनाना चाहते हैं, जो अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती दे। दोनों देशों के राष्ट्रपतियों ने अपनी ये मंशा इस साल फरवरी के पहले हफ्ते में ही जाहिर कर दी थी कि जब विंटर ओलिंपिक के उद्घाटन के मौके पर रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन बीजिंग गए थे। उस मौके पर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दो संयुक्त विज्ञप्ति जारी की थी, उसमें एक नई विश्व व्यवस्था बनाने का इरादा जताया गया था। उसके तीन हफ्तों के बाद ही रूस ने यूक्रेन पर हमला किया। अब युद्ध शुरू होने लगभग साढ़े तीन महीनों के बाद रूस और चीन ने फिर संकेत दिया है कि वे दुनिया में एक अलग धुरी बनाने के अपने इरादे पर कायम हैं। बल्कि इस इरादे को साकार करने के लिए वे मिल कर काम कर रहे हैं। इस बार मौका सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकॉमिक फोरम बना। बीते हफ्ते रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस फोरम को संबोधित किया। वहां पुतिन ने दो टूक एलान किया कि ‘एक ध्रुवीय विश्व’ का अंत हो चुका है।
पुतिन ने अमेरिका पर तीखे हमले बोले। अपने भाषण में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को निशाना बनाया। उनकी इन बातों पर गौर करें- ‘जब शीत युद्ध में जीत हुई, तो अमेरिका ने खुद को धरती पर ईश्वर का प्रतिनिधि घोषित कर दिया। उसने खुद को ऐसे देश के रूप में पेश किया, जिसकी कोई जिम्मेदारी नहीं, सिर्फ जिसके स्वार्थ हैँ। उसने अपने स्वार्थ को पवित्र घोषित कर दिया। यह वन-वे ट्रैफिक था, जिससे दुनिया अस्थिर हो गई।’ उधर जिनपिंग ने कहा कि अर्थव्यवस्थाओं के बीच संबंध विच्छेद, सप्लाई रुकावट ,और एकतरफा प्रतिबंध लगाने के चलन को सिरे से अस्वीकार कर दिया जाना चाहिए। चीन ने कहा है कि पश्चिमी देशों ने कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैँ। इन एकतरफा प्रतिबंधों से दुनिया को शीत युद्ध की तरफ धकेला गया है। साथ ही विश्व अर्थव्यवस्था में विभाजन हुआ है। संदेश साफ है। रूस और चीन अपनी धुरी बना रहे हैं, लेकिन इसके लिए जिम्मेदार वे पश्चिम को ठहरा रहे हैँ।
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