दुर्जन सिंह
Halshasthi fast : बचेली के विभिन्न जगहों पर विधि विधान से सम्पन्न हुई पूजा
Halshasthi fast : बचेली- संतान की दीर्घायु व सुख समृद्वि की कामना को लेकर 24 अगस्त, शनिवार को लौह नगरी बचेली में हलषष्ठी (कमरछठ) का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। महिलाओ ने व्रत रखकर शिव-पार्वती की विधि-विधान से पूजा अर्चना की। सगरी की स्थापना कर कथा वाचन किया गया।
भादपद्र मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाये जाने वाले इस कमरछठ या हलषष्ठी पर्व पर नगर के एफओएच काॅलोनी में कुंदेश्वर महादेव समिति द्वारा, सुभाषनगर, सतनाम भवन के पास गणेश मंडप, अंबेडकर पार्क के पास स्थित शिवालय परिसर में, सीडब्ल्यूएस कॉलोनी, गायत्री सत्संग भवन, पुलिस थाना कॉलोनी एवं अन्य स्थलो पर महिलाए एकत्रित होकर सामूहिक रूप से मनाया गया।महिलाएँ कुंड बनाकर शिव-पार्वती व गणेश की पूजा कर उनसे आर्शीवाद लिया गया।
गढ्ढे कर उसमे भैंस के दूध से बने घी, दही डालकर पूजा किया गया। इस पूजा के दौरान व्रतधारी महिलाएँ पसहर चावल का सेवन किया जाता है। विधि-विधान के साथ पूजा कर अगल-अलग छः जानवरों को प्रसाद दिया जाता इसके अलावा यज्ञ व कथावाचन हुआ। इस दौरान शिव-पार्वती के जुड़ी कथाएँ सुनाई गई। इस पूजा में महिलाएँ बिना हल चले अनाज का सेवन करती है।यह पूजा तालाबो में किया जाता है, लेकिन यहाॅ तालाब न होने के कारण दो गढ्ढे बनाकर पूजा किया जाता है। नगर में जगह-जगह पर महिलाएँ एकत्र होकर व्रतधारण कर विधि-विधान से पूजा किया। बच्चो को आध्यात्मिक कहानी की पुस्तके वितरण किया गया।
यह छत्तीसगढ़ राज्य की अनूठी संस्कृति का एक ऐसा पर्व है जिसे हर वर्ग हर जाति में बहुत ही सदभावपूर्वक मनाया जाता है। इस पर्व में लाई, दोना-पत्तल, फूल व भैंस के दूध, दही का ही उपयोग किया जाता है। हल षष्ठी में जिस चावल से प्रसाद तैयार किया जाता है, उसे पसहर चावल कहते है। इसकी खासियत यह है कि बिना जोताई के पैदा होता है।
Halshasthi fast : इस दिन गाय के दूध व व दही का सेवन करना वर्जित माना जाता है। इस दिन बिना हल जुता अन्न तथा फल खाने का विशेष महत्व है। हल षष्ठी का त्यौहार पुत्रवर्ती महिलाओ के लिए है। साथ ही विधि-विधान के साथ पूजा करने पर जो संतानहीन है, उनको दीर्घायु और श्रेष्ठ संतान की प्राप्ति होती है। इस व्रत एवं पूजन से संतान की आयु, आरोग्य एवं ऐश्वर्य की वृद्वि होती है।