छत्तीसगढ़ में सांपों का कहर: तीन साल में 18 हजार से ज्यादा लोग सर्पदंश के शिकार, सैकड़ों की मौत

रायपुर। हरियाली और सांस्कृतिक विविधता से भरपूर छत्तीसगढ़ इन दिनों सर्पदंश के खौफ में जी रहा है। मानसून के मौसम के साथ सांपों का आतंक तेजी से बढ़ रहा है, और आंकड़े राज्य को मानो ‘नागलोक’ में बदलते दिखा रहे हैं। 2023 से 2025 (मई तक) में कुल 18,816 लोग सांप के जहर का शिकार हुए, जिनमें से 300 से अधिक की मौत हो चुकी है।

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, 2023 में 8,644 मामले और 2024 में 8,645 मामले दर्ज हुए, जबकि 2025 में मई तक ही 1,527 लोग सर्पदंश से प्रभावित हो चुके हैं। कोरबा, रायगढ़ और बलौदाबाजार जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। अकेले कोरबा में 2023 में 854 मामले और 15 मौतें, 2024 में 865 मामले और 16 मौतें, और 2025 में मई तक 141 मामले दर्ज हुए। रायपुर में 2023 में 256, 2024 में 214 और 2025 में 19 मामले सामने आए, लेकिन यह आंकड़े केवल अस्पतालों में दर्ज मामलों के हैं। ग्रामीण और जंगल क्षेत्रों में झाड़-फूंक या घरेलू उपचार के चलते मौतें आधिकारिक रिकॉर्ड से कहीं ज्यादा हो सकती हैं।

स्वास्थ्य विभाग की चेतावनी और तैयारी
राज्य सर्वेलेंस अधिकारी डॉ. खेमराज सोनवानी ने सर्पदंश से निपटने के लिए एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि झाड़-फूंक या घरेलू इलाज खतरनाक है। सांप के काटने के बाद तुरंत अस्पताल पहुंचना जरूरी है। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में 1,60,436 एंटी-स्नेक वेनम उपलब्ध हैं। रायपुर के मेकाहारा अस्पताल में 1,200 से 1,500 इंजेक्शन स्टॉक में हैं और डॉक्टरों की टीम 24 घंटे तैयार रहती है।

5 मई 2025 को राज्य और जिला स्तर पर संयुक्त संचालन समिति गठित की गई। 20 जून को चिकित्सा और नोडल अधिकारियों का प्रशिक्षण हुआ, जिसमें प्राथमिक उपचार और प्रबंधन पर जोर दिया गया। सभी जिलों को रोकथाम के दिशानिर्देश भी भेजे गए हैं।

सांप के जहर का असर

डॉक्टरों के अनुसार, सर्पदंश का जहर तेजी से तंत्रिका तंत्र और श्वसन प्रणाली पर हमला करता है। लक्षणों में जलन, सूजन, मिचली, उल्टी, चक्कर और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं। समय पर इलाज न मिलने पर मौत निश्चित है। मानसून में सांप घरों और खेतों में घुस आते हैं, जिससे खतरा बढ़ जाता है।

क्या करें और क्या न करें

  • क्या करें: घाव को साबुन-पानी से धोएं, दंश स्थल के ऊपर-नीचे हल्के कपड़े से बांधें, और तुरंत अस्पताल जाएं।
  • क्या न करें: झाड़-फूंक, चीरा, जहर चूसना या कसकर बांधना न करें, इससे स्थिति बिगड़ सकती है।

सावधानी ही बचाव
रात में टॉर्च और जूते का प्रयोग करें, घर में कूड़ा या भोजन सामग्री न छोड़ें, और चूहों को दूर रखें। सर्पदंश पर घबराएं नहीं, क्योंकि घबराहट जहर को तेजी से फैलाती है।

छत्तीसगढ़ में सर्पदंश का खतरा अब किसी महामारी से कम नहीं है। सरकारी इंतजामों के साथ-साथ जनता की जागरूकता ही इस जानलेवा खतरे से बचने का सबसे बड़ा हथियार है।


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