काठमांडू
नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के खिलाफ भड़का GEN-Z आंदोलन अब राजनीतिक संकट में बदल गया है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को भारी दबाव के बीच इस्तीफा देना पड़ा। आंदोलन की जड़ें 2025 की शुरुआत में हैं, जब युवाओं ने #EndCorruptionNepal और #YouthForChange जैसे हैशटैग के जरिए सोशल मीडिया पर अभियान शुरू किया। धीरे-धीरे यह सड़कों पर उतर आया और सितंबर में हिंसक रूप ले लिया।
7 सितंबर को राजधानी काठमांडू में संसद भवन की ओर मार्च कर रहे हजारों प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज और गोलीबारी की। इसमें कम से कम 22 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए। इसके बाद गुस्साई भीड़ ने संसद, सुप्रीम कोर्ट, मंत्रियों के घरों और मीडिया हाउसों में आगजनी और तोड़फोड़ की। पूर्व पीएम पुष्पकमल दाहाल और ओली के निजी आवास भी आग के हवाले कर दिए गए। हिंसा में पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनल की पत्नी राजलक्ष्मी चित्रकार की मौत हो गई। विदेश मंत्री अर्जु राणा देउबा समेत कई नेताओं पर भीड़ ने हमला किया।
GEN-Z रिवोल्यूशन मुख्य रूप से 18 से 25 वर्ष के युवाओं का आंदोलन है। उन्होंने सरकार की नीतियों को बेरोजगार और गरीब-विरोधी बताया। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद आंदोलन तेज हुआ और इसे ‘डिजिटल डिक्टेटरशिप’ करार दिया गया।
विरोध प्रदर्शनों के बीच पहले गृह, कृषि और स्वास्थ्य मंत्री समेत कई नेताओं ने इस्तीफे दिए। हालात बिगड़ते देख सेना ने हस्तक्षेप किया और ओली को पद छोड़ना पड़ा। हालांकि, सोशल मीडिया बैन हटाने के बाद भी प्रदर्शनकारी शांत नहीं हुए और संसद भंग करने की मांग पर अड़े हैं।
प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू के मेयर और रैपर से राजनेता बने बालेन शाह को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने की मांग की है। शाह ने कहा कि संसद भंग किए बिना सेना से कोई बातचीत नहीं होगी। फिलहाल नेपाल कर्फ्यू जैसे हालात में है और भविष्य की राजनीति अनिश्चितता में घिरी है।