World Hindu Congress विश्व कल्याण के लिए जुटेगी हिन्दू शक्ति

World Hindu Congress

World Hindu Congress तीसरी वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस संपन्न

 

दुनिया के हिन्दू समुदाय और उनकी अच्छाई पर आघात है अंग्रेज़ी भाषा में ‘हिन्दूइज़्म’

World Hindu Congress बैंकॉक !  दुनिया में आर्थिक, राजनीतिक, मीडिया, औद्योगिक और तकनीक के क्षेत्र में हिन्दुओं को एकजुट करके उनकी सामूहिक शक्ति के साथ विश्व कल्याण के लिए सामर्थ्य हासिल करने के संकल्प के साथ तीसरी वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस का रविवार को यहां समापन हो गया।

तीन दिन तक चले इस सम्मेलन का समापन यजुर्वेद के ‘शांति मंत्र’ के साथ हुआ। सम्मेलन में 26 नवंबर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले में मां भारती के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले बलिदानियों की याद में एक मिनट का मौन भी रखा गया। प्रख्यात संत माता अमृतानंदमयी अम्मा ने सभा में आशीर्वचन भी दिये।

World Hindu Congress चौथी वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस का आयोजन वर्ष 2026 में तथा वर्ल्ड हिन्दू इकाॅनोमिक फोरम का शिखर सम्मेलन अगले साल मुंबई में आयोजित करने की घोषणा की गई।

इस मौके पर सम्मेलन के अध्यक्ष, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने विश्व के 61 देशों के करीब 2200 प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए उनका आह्वान किया कि वे अपने संपर्क के हर हिन्दू से जुड़ें और इस तरह से हिन्दू शक्ति को संगठित करें।

World Hindu Congress सरकार्यवाह ने कहा, “स्वामी विवेकानन्द ने कहा था ‘हिन्दुओं, अपनी आध्यात्मिकता से दुनिया को जीतो’, मुझे लगता है कि भौतिक प्रगति और आध्यात्मिक उन्नति हमें वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस के महान ध्येय ‘जयस्य आयतनम धर्म:’ का एहसास कराएगी।’

उन्होंने कहा,” कल एक मीडियाकर्मी ने मुझसे यह सवाल पूछा, ‘प्रतिनिधि अपनी व्यक्तिगत क्षमता से इस कांग्रेस में अपनी भागीदारी के प्रभाव को कैसे अधिकतम कर सकते हैं’ और मैंने उनसे कहा – ‘प्रत्येक प्रतिनिधि को इस संदेश को अपने व्यक्तिगत आयाम और सामाजिक क्षेत्र में फैलाना होगा।”

World Hindu Congress श्री होसबले ने कहा, “हमें दूसरों को जोड़ना होगा। जो कुछ करने के इच्छुक हैं। जो कांग्रेस में भाग नहीं ले पाएंगे, जिनके पास कुछ विचार हैं और जो पहले से ही क्षेत्र में काम कर रहे हैं। हमें उनमें से हर एक को जोड़ना है। उनके साथ नेटवर्किंग से हमारे देश में हिंदू ताकतें बढ़ेंगी।” माता अमृतानंदमयी अम्मा ने अपने आशीर्वचन में कहा कि आज विश्व में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है, जिनमें प्रेम और निस्स्वार्थ सेवा का स्रोत सूखता जा रहा है। इसका एक ही समाधान है-धर्म की पुनर्स्थापना! यह विश्व और मानवता को बचाने का एकमात्र उपाय है। उसी दिशा में, ऐसे सम्मेलन और समर्पण-भाव से एकजुट होकर केंद्रित-कार्य सम्पन्न करना आवश्यक होता जा रहा है।

अम्मा ने कहा,“ आज जगत में दो प्रकार की गरीबी है। पहली, भोजन,आवास और कपड़े का अभाव। दूसरी, प्रेम एवं करुणा का अभाव। हमें दूसरे प्रकार की गरीबी की ओर अधिक ध्यान देना चाहिए, क्योंकि हमारे दिलों में प्रेम और करुणा होगी तो हम पूरे मनोयोग के साथ सेवा कर सकेंगे और फिर पहली प्रकार की गरीबी अपने आप दूर हो जाएगी।”

उन्होंने कहा कि सनातन धर्म ही ऐसा एक धर्म है, जो इस बात को स्वीकार करता है कि सत्य-प्राप्ति के विविध मार्ग हैं। यह सबको अपना आध्यात्मिक पथ चुनने की स्वतंत्रता देता है। जगत को और हमें विविधता चाहिए। इसमें सुंदरता है। इसमें एकता है। सनातन धर्म में, विविधता और एकता साथ-साथ चलते हैं।

उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में ईश्वर से भी अधिक महत्व धर्म को दिया जाता है। यदि व्यक्ति धर्म पर दृढ़ रह कर जिये तो ‘मैं’,’ मेरा’ जैसे विचारों के लिए स्थान ही नहीं रह जाता। इस प्रकार स्थित रहते हुए कोई अपने साथी मनुष्यों या प्रकृति को नुकसान कैसे पहुंचाएगा? धार्मिक दृष्टिकोण हमारे बोध को विशाल बनता है. फिर अलगाव की भावना ही नहीं रहती. व्यष्टि मन समष्टि मन के साथ एक हो जाता है।

सम्मेलन में अर्थव्यवस्था, शिक्षा, अकादमिक, मीडिया और राजनीतिक क्षेत्र तथा युवा और महिला सहित सात वर्गों पर फोकस के साथ करीब 50 सत्र समानांतर ढंग से आयोजित किये गये। राजनीतिक फोरम के विभिन्न सत्रों में भाग लेने के लिए करीब 30 देशों के 50 से अधिक प्रतिनिधि तथा हिन्दू इकाॅनोमिक फोरम के सत्रों में 650 से अधिक प्रतिनिधियों भाग लिया तथा स्टार्टअप्स के लिए निवेश परामर्श भी आयोजित किये गये जिनमें तीन प्रस्ताव तुरंत ही स्वीकृत हो गये। इकाॅनोमिक फोरम के सत्र में कृषि, विनिर्माण और प्रौद्योगिकी के बारे में चर्चा हुई और मीडिया फोरम में डिजिटल मीडिया में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) से उत्पन्न चुनौतियों पर भी चर्चा हुई।

आयोजकों के अनुसार राजनीतिक फोरम से जुड़े तमाम लोगों ने दुनिया भर में हिन्दू सांसदों एवं राजनीतिक नेताओं को लोकतंत्र के लिए संघर्ष करने एवं एकजुट रह कर एक दूसरे के साथ निकट संपर्क में रहने तथा उनके देशों में राजनीतिक मजबूती के लिए एक दूसरे का सहयोग करने का भी आह्वान किया गया। राजनीतिक फोरम में खालिस्तानी आंदोलन, कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन और कुछ देशों में सैन्य तख्तापलट के मुद्दों पर भी चर्चा हुई है।

विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महासचिव मिलिंद परांडे ने कहा कि हिन्दुओं की शक्ति किसी को भयभीत करने के लिए नहीं है बल्कि यह विश्व भर में मानवता के कल्याण के लिए है।

वर्ल्ड हिन्दू फाउंडेशन के संस्थापक और वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस के सूत्रधार स्वामी विज्ञानानंद के अनुसार कि इस आयोजन का मकसद दुनिया में हिन्दुओं का प्रभाव बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि आज के विश्व में हिन्दुओं को प्रतिष्ठा तब तक नहीं मिल सकती है जब तक अर्थव्यवस्था, शिक्षा, अकादमिक, मीडिया और राजनीतिक क्षेत्र में सामूहिक प्रभाव पैदा नहीं होता।उन्होंने कहा कि इस आयोजन से इन क्षेत्रों में विभिन्न देशों, स्थानों पर प्रभावी असर रखने वाले हिन्दू व्यक्तियों को इकट्ठा करके हिन्दू स्वभाव को निर्देशित किया जा रहा है और युवा पीढ़ी एवं महिला शक्ति को फोकस में रखा गया है।उन्होंने कहा कि वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस में दुनिया भर से आए हिंदू इन पहलुओं पर चर्चा करते हैं और आगे का अजेंडा तय करते हैं।

विश्व हिन्दू परिषद के संयुक्त महामंत्री स्वामी विज्ञानानंद ने कहा कि ये पांच पहलू किसी भी समाज को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज के लोग व्यक्तिगत रूप से तो ये कर रहे थे लेकिन सामूहिक रूप से इन मूल मुद्दों पर फोकस नहीं था। पिछले करीब 10 वर्षों से इस पर फोकस किया गया है।

वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस ने हिन्दुत्व को अंग्रेज़ी भाषा में ‘हिन्दूइज़्म’ कहे जाने के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया और कहा कि यह पूरी दुनिया के हिन्दू समुदाय और उनकी अच्छाई पर आघात है। प्रस्ताव में कहा गया है कि “इज़्म” शब्द को एक दमनकारी और भेदभावपूर्ण रवैये या विश्वास के रूप में परिभाषित किया गया है। “इज़्म” वाक्यांश का उपयोग कट्टरपंथी अपमानजनक तरीके से आध्यात्मिक, धार्मिक और सामाजिक सुधार आंदोलनों को संदर्भित करने के लिए किया गया था। “हिन्दुइज्म” शब्द ऐसे संदर्भ में ईजाद किया गया है। हिन्दुत्व को अंग्रेज़ी भाषा में ‘हिन्दूइज़्म’ नहीं, बल्कि ‘हिन्दूनेस’ कहा जा सकता है।

शुक्रवार को उद्घाटन, ‘धर्म की विजय’ के उद्घोष के साथ प्रख्यात संत माता अमृतानंदमयी, भारत सेवाश्रम संघ के स्वामी पूर्णात्मानंद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, विश्व हिन्दू परिषद के महामंत्री मिलिंद परांडे तथा वर्ल्ड हिन्दू फाउंडेशन के संस्थापक एवं सम्मेलन के सूत्रधार स्वामी विज्ञानानंद ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया।

उद्घाटन सत्र में मेजबान देश के प्रधानमंत्री शित्ता थाविसिन को भाग लेना था लेकिन किन्हीं कारणों से वह नहीं आ सके। पर सभा में थाई प्रधानमंत्री का संदेश पढ़ा गया। उन्होंने संदेश में कहा कि थाईलैंड के लिए हिन्दू धर्म के सिंद्धांतों और मूल्यों पर आयोजित वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस की मेजबानी करना सम्मान की बात है। उनके देश में हिन्दू धर्म के सत्य और सहिष्णुता के सिद्धांतों का हमेशा से आदर रहा है।

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उन्होंने आशा व्यक्त की है कि आज की इस उथल-पुथल भरी दुनिया सत्य, सहिष्णुता और सौहार्द्र के हिंदू जीवन मूल्यों से प्रेरणा लेगी और विश्व में शांति स्थापित हो सकेगी।

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