रायपुर। आज की जनधारा ने हर साल की तरह इस बार भी साहित्यिक वार्षिकी का प्रकाशन किया है। इस बार ‘ग्लोबल गांव में स्त्री नाम से इसे प्रकाशित किया गया है। राजधानी के नुक्कड़ कैफे में आयोजित एक साहित्यिक गोष्ठी में इस पत्रिका का विमोचन वरिष्ठ कवि विनोद कुमार शुक्ल और नरेश सक्सेन के हाथों किया गया।
इस मौके पर आज की जनधारा के प्रधान संपादक सुभाष मिश्र, साहित्यकार रमेश अनुपम, रायपुर कमिश्नर डॉ. संजय अलंग समेत बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी मौजूद रहे। इस बार के अंक में वर्तमान परिदृश्य में महिलाओं की स्थिति और उनके संघर्ष को उकेरा गया है। 20वीं सदी में महिलाओं की कोमलता को कमजोरी का पर्याय घोषित करने वाली धारणाएं 21वीं सदी में कमजोर पडऩे लगी है। पश्चिम के साथ ही एशियाई देशों में आधुनिक स्त्री विमर्श बनने लगा है। इसके अलावा बाजारवाद की भूमिका भी स्त्री स्वतंत्रता के साथ हावी हुई है। इस अंक में नासिरा शर्मा का लेख अरबी साहित्य व संस्कृति पर अफवाहों का नकाब, शालीनी माथुर का लेख कबीलों, चबूतरों और ओटीटी प्लेटफार्म के बीच स्त्री तृप्ता सिंह की कहानी सेवंथ सेंस, यादवेन्द्र की कहानी बुद्ध शर्म से ढेर हो गए, जैसी कई रचनाएं शामिल हैं।