Virus attack : पशुओं में ‘बधई’ वायरस के आक्रमण को रोकने के लिए पढ़िए पूरी खबर

Virus attack :

राजकुमार मल

 

Virus attack :  यह तीन, रोकेंगे ‘बधई’ का हमला, कीट वैज्ञानिकों ने दी जानकारी

 

Virus attack :  भाटापारा– पायरीथ्रम, पेस्ट्रीन और क्रियोसोट ऑयल। यह तीन दवाएं मवेशियों को मक्खियों और मच्छरों से राहत दिलाएंगी। कुछ जरूरी विधियां घरों में भी अपनानी होगी, ताकि इनके प्रकोप से बचा जा सके।

संरचना, स्वभाव और तीव्र प्रजनन दर। यह तीन ऐसे प्रमुख कारक हैं, जिनकी वजह से मक्खियां, ना केवल अपनी आबादी बढ़ा रहीं हैं बल्कि प्रभाव क्षेत्र का भी विस्तार कर रहीं हैं। जिस तरह गौशाला और गौठानों में यह फैल रहींं हैं, उसे कीट वैज्ञानिकों ने बड़ा संकट माना है। लिहाजा रासायनिक और भौतिक विधियां अपनाने की सलाह दी है, जिससे ना केवल राहत मिलेगी बल्कि इस कीट की बढ़ती जनसंख्या पर प्रभावी रोक लगाई जा सकेगी।

Virus attack :  प्रभावी रासायनिक विधियां

 

 

गौशाला और गौठानों को मक्खी और मच्छरों से मुक्त करने के लिए पायरीथ्रम, पेस्ट्रीन,लिथेन, फ्लीट, ट्यूगोन और गेमैक्टोन का छिड़काव करना होगा। कीट वैज्ञानिकों के अनुसार पायरीथ्रम और पेस्ट्रीन सर्वाधिक प्रभावी है क्योंकि इनसे बढ़ती आबादी नियंत्रण में रहती है। सावधानी इस बात की रखनी होगी कि छिड़काव के बाद गोबर को खाद के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकेगा।

Virus attack :  घरों में यह उपाय

 

 

फ्लाई ट्रैप या फ्लाई पेपर। आसान है यह दोनों। दरवाजे और खिड़कियों पर बारीक जाली लगाएं। समय-समय पर करंट प्रवाहित करें, तो मक्खियां और मच्छरों की बढ़ती संख्या रोकी जा सकेगी। जबकि फ्लाई पेपर दीवारों पर लगाने होंगे। उससे ही चिपक कर रह जाएंगे यह दोनों कीट। रासायनिक दवाओं के छिड़काव के साथ फॉर्मेलीन या सोडियम आर्सेनीक पाउडर को दूध तथा शक्कर के साथ मिलाकर घोल बनाएं और फैला दें। प्रभावी नियंत्रण के लिए नीम की पत्तियों को जलाकर धुआं फैलाना होगा। डस्टबिन बंद करके रखें ताकि छिपने की जगह ना मिले।

Virus attack :  अपनाईए भौतिक विधि

 

 

कीट वैज्ञानिकों ने रासायनिक के साथ भौतिक विधियों को भी अपनाने की सलाह दी है ताकि तीव्र प्रजनन दर काबू में रखी जा सके। इसके अनुसार नालियों की नियमित सफाई, डस्टबिन को ढंककर रखना तो होगा ही, साथ ही आबादी से दूर वेस्ट मैनेजमेंट की व्यवस्था करनी होगी। जल-जमाव वाली जगहों पर बोरेक्स और हेल्बोर पाउडर का छिड़काव अनिवार्य होगा। गौठानों और गौशालाओं को गोबर सुखाने की आधुनिक विधियां अपनानी होगी क्योंकि यह कीट, गोबर पर ही लार्वा और अंडे देते हैं।

जानिए घातक मक्खियों को

 

 

पूरा शरीर रोम से ढंका हुआ होता है। यह रोम इतने घने होते हैं कि जिस जगह मक्खियां बैठती हैं, वहां के जीवाणु इस रोम से चिपक जाते हैं। वेस्ट आहार की तलाश में जब यह मक्खियां घाव, फोड़ा, फुंसी में बैठती हैं, तब जीवाणु इन जगहों पर चिपक जाते हैं। इस तरह क्रमवार नुकसानदेह जीवाणु दूसरों तक पहुंचते हैं। मानव तक पहुंच, इसलिए बेहद आसान है क्योंकि खुले में रखी होतीं हैं खाद्य सामग्रियां। इन पर बैठने के बाद जीवाणु इन खाद्य पदार्थों में चिपक जाते हैं।

प्रभावी उपाय जरूरी

 

मक्खी की रचना एवं उसका स्वभाव, दोनों ही रोगोत्पादक जीवों के वहन के लिए आदर्श रूप से उपयुक्त होते हैं। मक्खी से बचाव के उपायों को अपनाकर हम उसके बढ़ने तथा हो रही बीमारियों पर नियंत्रण पा सकते हैं।

डॉ.अर्चना केरकेट्टा, सहायक प्राध्यापक (कीट विज्ञान), बीटीसी कॉलेज आफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर

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