Successful kidney transplant in AIIMS एम्स में सफल किडनी प्रत्यारोपण के बाद जागी जीवन की नयी उम्मीद, तीन रोगियों ने साझा किए अपने अनुभव 

Successful kidney transplant in AIIMS

Successful kidney transplant in AIIMS सफल किडनी प्रत्यारोपित लोगों में जीवन की नयी आस

 

Successful kidney transplant in AIIMS  देहरादून !  उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में अभी तक हुए तीन सफल किडनी प्रत्यारोपित लोगों में जीवन की नयी आस जग गई है। इन सभी तीन रोगियों ने रविवार को अपने अनुभव साझा किए।


Successful kidney transplant in AIIMS  एम्स में आयोजित एक कार्यक्रम में तीनों किडनी दानदाताओं और रोगियों ने अपने अनुभव साझा किए। साथ ही, दूसरे लोगों को अंगदान के लिए आगे आने को प्रेरित किया है।

कुमाऊं मंडल निवासी रोगी विक्रम नेगी ने बताया कि संस्थान में चिकित्सकों द्वारा किडनी प्रत्यारोपण कराने के सुझाव के बाद वह कई तरह की शंकाओं से घिरे हुए थे। बकौल विक्रम नेगी उनके मन में सवाल था कि किडनी प्रत्यारोपण का क्या परिणाम रहेगा, क्या परिजन से किडनी प्रत्यारोपण के बाद क्या मैं ठीक हो सकूंगा, मगर जब मेरे किडनी ट्रांसप्लांट की जांच प्रक्रिया पूरी हुई और चिकित्सकों ने मुझे भरोसा दिलाया कि मैं फिर से स्वस्थ जीवन जी सकूंगा तो मेरे मन में उम्मीद की किरण जगी।


Successful kidney transplant in AIIMS  दूसरी ओर, विक्रम के पिता लक्ष्मण सिंह नेगी का कहना है कि उनके मन में अपने पुत्र को किडनी डोनेट करने के दौरान कोई सवाल नहीं था। वह पूरी तरह से इसके पक्ष में थे। लिहाजा संपूर्ण उपचार प्रक्रिया के दौरान वह अपने घर नहीं लौटे। उन्हें इस सफलता पर पूरा भरोसा था और आखिर चिकित्सकों के अथक प्रयासों व प्रोत्साहन से यह कामियाबी हासिल हो सकी और मेरे पुत्र को नया जीवन मिला।


दूसरी किडनी डोनर सुनीता देवी ने अपने पुत्र सचिन को किडनी दान दी थी। सचिन की पत्नी सपना ने बताया कि उनके परिवार को पति की इस बीमारी से उबारने के लिए पारिवारिजनों से अधिक एम्स के चिकित्सकों का अधिक सपोर्ट मिला है।

Successful kidney transplant in AIIMS सपना के अनुसार, उनके पति अनेक तरह की गंभीर बीमारियों से ग्रसित थे। ट्यूबरक्लोसिस टीबी और अन्य मल्टीपल इन्फेक्शन से ग्रसित उनके पति की किडनी खराब होने से उन्हें महीनों तक विभिन्न अस्पतालों में पहले नसों के जरिए और बाद में पेट के माध्यम से अपने पति का डायलिसिस कराना पड़ा। इस दौरान एम्स के चिकित्सकों ने उन्हें अपने पति की किडनी ट्रांसप्लांट का सुझाव दिया। उन्होंने बताया कि शुरुआत में उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की सफलता पर यकीन नहीं हुआ, ऐसी स्थिति में एम्स के चिकित्सकों यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अंकुर मित्तल व नेफ्रोलॉजी विभाग प्रमुख डॉ. शेरोन कंडारी के भरोसा दिलाने व बार बार इस किडनी प्रत्यारोपण के लिए प्रेरित करने पर उन्हें और उनके परिवार की उम्मीद जगी और वह इसके लिए तैयार हो गए।


बकौल सपना वह जब आठ माह की गर्भवती थीं, तब उन्हें पता चला कि उनके पति किडनी पेशेंट हैं। लिहाजा उनका नियमित डायलिसिस होने लगा। बीमारी से वह मायूस रहने लगे। एक दिन उनके पति एम्स से डायलिसिस कराकर घर लौटे ही थे कि तभी डॉ. शेरोन कंडारी का फोन आया, उस फोन को अटेंड करने के बाद उनमें जीवन को लेकर उम्मीद की किरण जागने लगी। उन्होंने परिजनों से कहा कि अब सब ठीक होगा।

इसके बाद किडनी प्रत्यारोपण की प्रक्रिया शुरू हुई और चिकित्सकों द्वारा उनके परिवार का भरोसा जगाने पर उनके पति को नया जीवन मिल सका। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं। उनका मानना है कि यदि पेशेंट के बाद किडनी डोनर है तो डायलिसिस की लंबी प्रक्रिया से कहीं बेहतर किडनी प्रत्यारोपण के बाद ताउम्र दवा लेना है।


तीसरे किडनी रोगी निर्दोष को उनकी माता शकुंतला देवी ने अपनी किडनी डोनेट की। निर्दोष के अनुसार, उनकी दोनों किडनियों में पथरियां फंसी थी, लिहाजा उन्हें एम्स अस्पताल की इमरजेंसी में इलाज के लिए लाया गया था। जहां सबसे पहले यूरोलॉजी विभाग द्वारा उनकी दोनों किडनियों का ऑपरेशन कर पथरियां हटाई गईं। इसके बाद तीसरे ऑपरेशन में उनको किडनी प्रत्यारोपित की गई। बकौल निर्दोष प्रत्यारोपण को लेकर उनके मन में कई तरह शंकाएं थी। मसलन जांच रिपोर्ट कैसी रहेगी, ट्रांसप्लांट हो पाएगा या नहीं। इसके परिणाम क्या होंगे। मगर उनके मन की तमाम शंकाएं लगातार चिकित्सकीय टीम का सपोर्ट मिलने से मिटती चली गईं और विश्वास बढ़ता चला गया।


निर्दोष ने बताया कि उन्हें इस तमाम प्रक्रिया में एम्स के नेफ्रोलॉजी विभाग व यूरोलॉजी विभाग का बहुत सपोर्ट मिला। इन विभागों के चिकित्सकों ने मुझे और मेरे परिजनों को उम्मीद बंधाई कि सब ठीक होगा। पेशेंट निर्दोष के अनुसार किडनी ट्रांसप्लांट की जांच प्रक्रिया के उपरांत प्रत्योरापण के ठीक एक दिन पहले अपनी जीवन को लेकर बहुत मायूस थे, तब एम्स के चिकित्सकों की टीम ने उन्हें कहा कि सब उनके साथ हैं ईश्वर पर भरोसा रखें।

निर्दोष की मां शकुंतला देवी ने बताया कि उनका एक ही पुत्र है, लिहाजा उन्होंने किडनी दान करने के बाद के नफा नुकसान के बारे में कुछ भी नहीं सोचा, वह हरहाल अपने इकलौते पुत्र का जीवन बचाने के लिए अपनी किडनी देना चाहती थीं। उन्हें उम्मीद थी कि सब ठीक रहेगा।


कार्यक्रम के दौरान, अंगदान प्रत्यारोपण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से संस्थान में राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की गई रंगोली प्रतिस्पर्धा के अव्वल प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। इस दौरान संस्थान में किडनी प्रत्यारोपण के बाद स्वस्थ हुए मरीजों को भी संस्थान की ओर से पुरस्कृत किया गया। इस दौरान उन्होंने किडनी ग्रसित मरीजों को किडनी प्रत्यारोपण के लिए प्रोत्साहित भी किया।


उल्लेखनीय है कि गत माह जनवरी 2024 में यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी विभाग, नर्सिंग कॉलेज और मोहन फाउंडेशन की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर किडनी व अंगदान प्रत्यारोपण को बढ़ावा देने के लिए रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। जिसमें पहले श्रेष्ठ छह पुरस्कारों में से पांच एम्स, ऋषिकेश के कॉलेज ऑफ नर्सिंग के प्रतिभागियों ने हासिल किए हैं। एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह, डीन अकादमिक प्रो. जया चतुर्वेदी, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. आरबी कालिया ने अव्वल प्रतिभागियों को पुरस्कार वितरित किए।


इस अवसर पर यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अंकुर मित्तल, यूरोलॉजी विभाग के प्रो. अरूप कुमार मंडल, डॉ. विकास पवार, नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. शेरोन कंडारी ने संस्थान में तीन सफल गुर्दा प्रत्यारोपण पर ग्रसित रोगियों व उनके डोनर्स को भी संस्थान की ओर से सम्मानित किया।

इस दौरान एम्स में गुर्दा प्रत्यारोपण कराने वाले मरीजों व उनके परिजनों ने अपने अनुभव जनसामान्य के समक्ष साझा किए और लोगों को अंगदान व गुर्दा ट्रांसप्लांट के लिए आगे आने का आह्वान किया।


इस अवसर पर, यूरोलॉजी विभाग के ओपीडी एरिया में नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया, जिसमें एम्स के कॉलेज ऑफ नर्सिंग के विद्यार्थियों ने मरीजों व उनके तीमारदारों को गुर्दा व ऑर्गेन्स डोनेशन के लिए प्रेरित किया। उन्होंने नुक्कड़ नाटक के जरिए संदेश दिया कि किडनी खराब होने की स्थिति में हम अपने रक्त संबंधी को अपनी एक किडनी को डोनेट कर सकते हैं, इससे दोनों स्वस्थ रहते हैं और हम अपने प्रियजन को जीवनदान दे सकते हैं। साथ ही नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से सड़क दुर्घटना अथवा अन्य कारणों से अकाल मृत्यु होने पर विभिन्न ऑर्गेन डोनेट करने पर हम किसी जरुरतमंद को जीवनदान दे सकते हैं।

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इस अवसर पर डॉ. रोहित गुप्ता, प्रिंसिपल नर्सिंग स्मृति अरोड़ा, एनेस्थीसिया विभाग के डॉ प्रवीन, चीफ नर्सिंग ऑफिसर डॉ. रीटा शर्मा आदि मौजूद थे।

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