Trust broken भरोसा टूट गया

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Trust broken भरोसा टूट गया

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Trust broken भरोसा टूट गया

Trust broken  बलात्कारियों या हत्यारों के प्रति नरम रुख अपनाने वाला समाज असल में धीरे-धीरे खुद को सभ्यता से दूर करता चला जाता है। इसके दुष्परिणाम सभी नागरिकों को भुगतने पड़ते हैँ।

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गुजरात के 2002 के दंगों की एक प्रमुख शिकार बिलकीस बानो ने अगर कहा है कि भारतीय न्याय व्यवस्था से संरक्षण पाने का उनका भरोसा टूट गया है, तो इसके लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

जब किसी देश में न्याय और अपराध की व्याख्या और उन पर अमल ठोस साक्ष्यों के आधार पर नहीं, बल्कि राजनीतिक- वैचारिक हितों के आधार पर होने लगे, तो उसकी वजह से उत्पीडि़त लोगों से आखिर और क्या अपेक्षा की जा सकती है?

Trust broken  बिलकीस बानो का मामला ऐसा नहीं है, जिसमें राहत पाने वाले लोग आरोपी हैं। बल्कि वे सजायाफ्ता हैं, जिनके दंड की पुष्टि सर्वोच्च न्यायालय से हुई थी।

फिर गुजरात सरकार ने स्वतंत्रता दिवस के दिन उन अपराधियों की सजा माफी खुद अपने इस दिशानिर्देश को तोड़ते हुए दी कि बलात्कार और अन्य जघन्य अपराध के दोषी लोगों को सजा माफी नीति का लाभ नहीं मिलेगा।

Trust broken एक दशक पहले सजा माफी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी कुछ दिशानिर्देश तय किए थे। तब उसने ऐसे सभी मामलों को न्यायिक समीक्षा के दायरे में ला दिया था। क्या पहली दृष्टि में यह नहीं लगता कि बिलकीस बानों के मामले में लिया गया फैसला तब न्यायालय जिन भावनाओं से प्रेरित था, उनका भी उल्लंघन है?

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Trust broken भरोसा टूट गया

Trust broken सजा माफी की इस घटना आज देश के सामने फिर से यह यक्ष प्रश्न खड़ा कर दिया है कि क्या भारत आधुनिक न्याय व्यवस्था और कानून के राज के सिद्धांत से चलेगा- या यहां अपराध, न्याय और कानून की धारणाएं सत्ता पक्ष के हितों से तय होंगी?

इस बिंदु पर यह बार-बार दोहराई जाने वाली बात फिर से दोहराने की जरूरत है कि किसी समाज में शांति व्यवस्था वहां रहने वाले सभी नागरिकों में संतुष्टि और न्याय पाने की उम्मीद कायम रहने पर निर्भर करती है। समाज के किसी तबके में ऐसी उम्मीद का टूटने लगे, तो वह समाज प्रगति और विकास तो दूर, सामान्य ढंग से रहने की उम्मीद भी नहीं कर सकता।

Trust broken बलात्कारियों या हत्यारों के प्रति नरम रुख अपनाने वाला समाज असल में धीरे-धीरे खुद को सभ्यता से दूर करता चला जाता है। इसके दुष्परिणाम सभी नागरिकों को भुगतने पड़ते हैँ।

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