Tribal Halba Samaj 26 दिसंबर को हल्बा समाज द्वारा मनाया जाता है पूरे देश में शक्ति दिवस
Tribal Halba Samaj पखांजूर . अखिल भारतीय आदिवासी हल्बा समाज परलकोट पखांजूर के तत्वावधान में शहीद गेंदसिंह स्मारक भवन पखांजूर में धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर दंतेश्वरी देवी, जिमिदारीन माता, शहीद गेंदसिंह बाऊ की मूर्ति की सेवा अरजी विनती कर सामाजिक ध्वजारोहण किया गया। शक्ति दिवस पूरे देश में 26 दिसंबर को हल्बा समाज द्वारा मनाया जाता है !
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Tribal Halba Samaj 18 गढ़ महासभा युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कृष्णपाल राणा ने बताया कि देश काल परिस्थिति से हल्बा जनजाति के लोग 1774-79 हल्बा विद्रोह से आपस में बिछड़ गए। कालांतर में क्षेत्रवार जाना पहचाना जाने लगा अट्ठारह गढ़ महासभा, 32 गढ़ महासभा, बालोद महासभा मध्य प्रदेश महासभा और महाराष्ट्र महासभा कुल 5 महासभा के रूप में हल्बा जनजाति को जाना जाता है।
सभी महासभा के पदाधिकारियों के द्वारा 25 दिसंबर 1998 को बड़े डोंगर में एक बैठक रखा गया बैठक में सभी महासभा के जनजातियों को संगठित करने के लिए सभी मिलकर एक संगठन बनाएं जिसका नाम दिया गया अखिल भारतीय आदिवासी हलबा समाज उस दिन से पूरे भारत में जैसे छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र उड़ीसा मध्य प्रदेश और असम एवं अन्य राज्यों में निवासरत एक मंच में आकर संगठित होकर अखिल भारतीय आदिवासी हलबा समाज के बैनर तले रहने लगे यह कार्य मध्य रात्रि को होने के कारण 26 दिसंबर 1998 हुआ।
Tribal Halba Samaj इस कारण संगठन से शक्ति मिले इसी मनोकामना से इस तिथि को यादगार बनाने के लिए हल्बा जनजाति के लोग प्रतिवर्ष 26 दिसंबर को शक्ति दिवस के रूप में धूमधाम से उत्सव मनाते हैं और अपने इष्ट देवी आया दंतेश्वरी और शहीद गैंदसिंह बाऊ की प्रतिमा की पूजा अर्चना हर गांव ,उपगढ़ ,गढ़ ,सर्किल ब्लॉक जिला और राज्य स्तर पर 26 दिसंबर को शक्ति पर्व मनाते आ रहे हैं इस दिन सामाजिक ध्वज जो तीन रंगों का बना रहता है उसे फहराया जाता है !
सभी के घरों में संध्या के समय दीप जलाया जाता है और खुशियां मनाई जाती है विभिन्न प्रकार के खेलकूद सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है और सभी एक साथ एक ही स्थान पर भोजन बनाकर सामूहिक भोज ग्रहण करते हैं।
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उस दिन भारतीय ध्वज से तिरंगा से तिन रंग की झंडा, मध्य भाग में हल्बा समाज की मोनो को रखा गया है। यह मोनो गोलाकार निरंतर प्रगतिशील का भाव, धान की बाली जीवन यापन की प्रमुख व्यवसाय, ढाल तलवार ऐतिहासिक आंदोलन में शामिल राजाओं के अंगरक्षक और विश्वासपात्र सैनिक रहे थे वीरता का प्रतीक माना गया है। इस तरह मोनो बनाया गया है।
Tribal Halba Samaj इस अवसर पर दामसाय बघेल, हेमंत कुमार वैद्य, लक्ष्मण खुड़श्याम, बिनू धनेलिया, सुरीत भेड़िया, दीनानाथ चुरेंद्र, गोवर्धन नाग, पुनऊ समरथ, परमेश्वर प्रधान, सरिन्द्र समरथ, सुरजलाल राणा, धनसिंह बघेल, पुरूषोत्तम कोरटीया, प्रकाश नाग, हेमंत नेगी, हेमलता बघेल, संध्या नायक, होमेंद सिवाना, कामदेव मार्शल, जोहिर घुमरा, एवं समस्त सामाजिक बिरादर उपस्थित रहे।